UP SIR Process: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) का अंतिम चरण जारी है. इसको लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने 44 वरिष्ठ नेताओं को निगरानी की जिम्मेदारी सौंप दी है. देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है. जिसमें फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि 4 दिसंबर तय है. अखिलेश यादव ने खुद भी गुरुवार को अपना एसआईआर फॉर्म भरकर बीएलओ को सौंपा. इसके अगले ही दिन उन्होंने पार्टी नेताओं को जिलावार प्रभारी नियुक्त किया. जिनका काम एसआईआर प्रक्रिया की मॉनिटरिंग और समर्थक मतदाताओं के नाम सूची में जुड़वाना होगा.
इन दिग्गज नेताओं को सौंपी गई जिम्मेदारी
सपा पार्टी द्वारा जारी की गई सूची के अनुसार, कई राष्ट्रीय पदाधिकारियों को एक से अधिक जिलों का दायित्व दिया गया है. बलराम यादव को आजमगढ़, शिवपाल यादव को इटावा और बदायूं, जबकि विशम्भर प्रसाद निषाद को बांदा व फतेहपुर की जिम्मेदारी मिली है. इसी तरह राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन को आगरा और हाथरस, हरेन्द्र मलिक को मुजफ्फरनगर और सहारनपुर, नीरज पाल को बागपत का प्रभारी बनाया गया है. राष्ट्रीय सचिवों में कमाल अख्तर (मुरादाबाद–संभल), डॉ. मधु गुप्ता (लखनऊ), ओमप्रकाश सिंह (गाजीपुर), राजीव राय (मऊ–बलिया) और अभिषेक मिश्रा (लखनऊ महानगर) शामिल हैं.
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मऊ सदर क्षेत्र से लगभग 20,000 नाम हटाने का आरोप
सपा नेतृत्व ने अपने इन पर्यवेक्षकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि वे तुरंत अपने जिलों में जाकर विधानसभा-वार बूथ सूची, बीएलए सूची और बूथ प्रभारियों की स्थिति की समीक्षा करें. इसके अलावा वे बूथवार फॉर्म वितरण, जमा होने और पोर्टल पर अपलोड की प्रगति का विश्लेषण करके पार्टी मुख्यालय को रिपोर्ट भेजें. राजीव राय के अनुसार, उन्हें मऊ और बलिया का प्रभार मिला है, और निरीक्षण के दौरान पाया गया कि मऊ सदर क्षेत्र से लगभग 20,000 नाम हटा दिए गए हैं. उनका कहना है कि पीडीए प्रहरी दृष्टिकोण से सभी साक्ष्य इकट्ठा कर चुनाव आयोग के सामने रखा जाएगा ताकि हटाए गए नाम पुनः जोड़े जा सकें.
बढ़ाई जानी चाहिए एसआईआर अवधि- अखिलेश यादव
सपा का आरोप है कि एसआईआर प्रक्रिया के जरिए पिछड़े व दलित वर्ग के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं और पार्टी इसे लेकर बेहद सतर्क है. 4 दिसंबर अंतिम तिथि है, लेकिन इसके बाद आपत्तियों और सुधार का चरण भी चलेगा. इसको देखते हुए सपा ने अपने शीर्ष नेताओं को जमीनी स्तर पर लगाया है. अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने यह भी कहा है कि एसआईआर अवधि बढ़ाई जानी चाहिए, क्योंकि विधानसभा चुनाव अभी दूर हैं. पार्टी ने विरोध के बजाय सक्रिय निगरानी की रणनीति अपनाते हुए यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि उसका वोटबैंक प्रभावित न हो और समय रहते सारी खामियां पकड़ी जा सकें.