Rajasthan CM Announced Tomorrow: राजस्थान चुनाव के परिणाम आए 7 दिन हो चुके हैं लेकिन भाजपा अभी तक सीएम का उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। इस जयपुर से लेकर दिल्ली तक आला नेता 3 दौर की बैठकें भी कर चुके हैं। पीएम मोदी ने राजस्थान के नेताओं के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ कई बार बैठकें कर चुके हैं। इस बीच शुक्रवार को पार्टी ने आलाकमान ने प्रदेश में सीएम के नाम पर मुहर लगाने के लिए तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है। तीनों पर्यवेक्षक पार्टी आलकमान के फैसले से विधायकों को अवगत कराएंगे और उस पर उनकी राय जानेंगे।
पार्टी ने विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडे और महासचिव तावड़े को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। जानकारी के अनुसार तीनों आज शाम तक जयपुर पहुंच सकते हैं। उधर आला नेताओं से मिलने दिल्ली पहुंचीं वसुंधरा भी आज शाम तक जयपुर पहुंच सकती हैं। रविवार यानी कल भाजपा मुख्यालय में विधायक दल की बैठक होगी जिसमें तीनों पर्यवेक्षकों के अलावा प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी और संगठन से जुड़े आला नेता भी मौजूद रहेंगे।
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राजे का दावा इसलिए मजबूत
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे प्रदेश की दो बार सीएम रह चुकी है। भावी सीएम की दौड़ में उनका नाम सबसे आगे चल रहा है। ऐसा करके पार्टी गुटबाजी और अनुभवहीनता दोनों मुद्दों से पार पा सकती है। कुछ महीने बाद ही देश में लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में पार्टी चाहेगी कि कोई ऐसा चेहरा ही सीएम बने जो पार्टी को पूरी 25 सीटें दिला सके। बता दें कि भाजपा 2014 और 2019 में प्रदेश की सारी सीटें जीत चुकी है। इधर वसुंधरा राजे भी सीएम बनने की पूरी तैयारी कर चुकी है। चुनाव परिणाम के बाद करीब 47 विधायक उनसे मिलने जयपुर स्थित आवास पहुंचे थे। उनमें से कुछ विधायकों ने तो राजे को सीएम बनाने की पैरवी भी की थी।
राजनाथ सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक बना कर भेजना लगभग तय कर देता है कि वसुंधरा राजे की वापसी नहीं होगी। कल वसुंधरा जी ने अध्यक्ष को अपने विरोध में षड्यंत्र आदि का तर्क दिया, जो वस्तुतः सत्य के विपरीत है।
यदि वसुंधरा जी नहीं आ रहीं, तो यह भी तय है कि शिवराज सिंह को केन्द्र में…
— Ajeet Bharti (@ajeetbharti) December 8, 2023
नए चेहरे के सामने ये बड़ी चुनौतियां
विश्लेषकों की मानें तो अगर पार्टी चुनाव के लिए नये चेहरे पर दांव खेलती है तो उसे प्रशासनिक मशीनरी से जुझना पड़ सकता है। अक्सर अनुभवहीन नेता अफसरों के भंवरजाल में फंस जाते हैं जिससे पार्टी अपने वादों पर अमल नहीं कर पाती है। ऐसा उत्तराखंड और कर्नाटक में देखने को भी मिला। ऐसे में पार्टी चाहेगी कि घोषणा पत्र के वादों को धरातल पर उतारने के लिए कोई ऐसा चेहरा सीएम बने जो प्रशासन और सरकार दोनों को साथ लेकर चल सके।
इन चेहरों की भी चर्चा
पूर्व सीएम वसुंधरा के अलावा और कई चेहरे हैं जो सीएम की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं उनमें बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, ओम माथुर और ओम बिड़ला का नाम शामिल हैं। हालांकि पीएम मोदी अपने चौंकाने वाले रवैये के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में वे किसी ऐसे चेहरे को भी उतार सकते हैं जो राजस्थान से ताल्लुक रखते हैं जिसमें कई केंद्रीय मंत्री और संगठन के नेता शामिल हैं।