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गिरफ्तार RPSC सदस्य बाबूलाल कटारा पर लटक रही निलंबन की तलवार, जानें क्या है संवैधानिक प्रावधान?

RPSC Paper Leak Case: आरपीएससी भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में गिरफ्तार आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के निलंबन की तैयारी शुरू हो गई है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा संविधान विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। बता दें कि पेपर लीक मामले की जांच के लिए गठित एसओजी ने 18 अप्रैल को आरपीएससी सदस्य […]

RPSC Paper Leak Case: आरपीएससी भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले में गिरफ्तार आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा के निलंबन की तैयारी शुरू हो गई है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा संविधान विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। बता दें कि पेपर लीक मामले की जांच के लिए गठित एसओजी ने 18 अप्रैल को आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया था। मामले में आयोग के चेयरमैन ने कटारा पर कार्रवाई के लिए सीएम और मुख्य सचिव उषा शर्मा को पत्र लिखा है। आयोग के इतिहास में पहली बार कोई सदस्य गिरफ्तार हुआ है।

यह है हटाने की प्रक्रिया

राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को गंभीर मामलों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को भेजनी होती है। राजभवन अपने स्तर संविधान सम्मत कार्रवाई करते हुए संबंधित सदस्य को निलंबित करने की फाइल राष्ट्रपति को भेजनी पड़ती है। राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद संबंधित सदस्य को राज्यपाल उसके पद से बर्खास्त कर देता है।

यह है संवैधानिक प्रावधान

संघ या राज्य लोक सेवा आयोग के अध्‍यक्ष या किसी अन्य सदस्य को केवल कदाचार के आधार पर किए गए राष्ट्रपति के ऐसे आदेश से उसके पद से हटाया जाएगा। जो उच्चतम न्यायालय को राष्ट्रपति द्वारा निर्देश किए जाने पर उस न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 145 के अधीन इस निमित्त विहित प्रक्रिया के अनुसार की गई जाँच पर, यह प्रतिवेदन किए जाने के पश्चात्‌ किया गया है कि, यथास्थिति, अध्‍यक्ष या ऐसे किसी सदस्य को ऐसे किसी आधार पर हटा दिया जाए। खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, यदि लोक सेवा आयोग का, यथास्थिति, अध्‍यक्ष या कोई अन्य सदस्य दिवालिया न्यायनिर्णीत किया जाता है। 1.अपनी पदावधि में अपने पद के कर्तव्यों के बाहर किसी सवेतन नियोजन में लगता है। 2.राष्ट्रपति की राय में मानसिक या शारीरिक शैथिल्य के कारण अपने पद पर बने रहने के लिए अयोग्य है, तो राष्ट्रपति,  अध्‍यक्ष या ऐसे अन्य सदस्य को आदेश द्वारा पद से हटा सकेगा। यदि लोक सेवा आयोग का अध्‍यक्ष या कोई अन्य सदस्य, निगमित कंपनी के सदस्य के रूप में और कंपनी के अन्य सदस्यों के साथ सम्मिलित रूप से अन्यथा, उस संविदा या करार से, जो भारत सरकार या राज्य सरकार के द्वारा या निमित्त की गई या किया गया है, किसी प्रकार से संपृक्त या हितबद्ध है या हो जाता है या उसके लाभ या उससे उद्‌भूत किसी फायदे या उपलब्धि में भाग लेता है तो वह खंड (1) के प्रयोजनों के लिए कदाचार का दोषी समझा जाएगा।


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