TrendingUP T20 League 2024Paris Paralympics 2024Jammu Kashmir Assembly Election 2024Haryana Assembly Election 2024Aaj Ka Rashifal

---विज्ञापन---

राजस्थान चुनाव में रूठों को मनाने की कवायद जारी, भाजपा-कांग्रेस से 35 बागी मैदान में, समझें नुकसान का गणित

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान चुनाव में नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख 9 नवंबर है। भाजपा और कांग्रेस केे बागी गले की फांस बन गए हैं। अगर पार्टियां बगावत रोकने में नाकामयाब रहती है तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Nov 7, 2023 12:24
Share :
Rajasthan Assembly Election 2023

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर फिलहाल नामांकन प्रकिया का दौर पूरा हो चुका है। जहां एक तरफ भाजपा ने सभी 200 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं तो वहीं कांग्रेस ने 199 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। वहीं भरतपुर सीट पर रालोद चुनाव लड़ेगी। समझौते के तहत कांग्रेस इस सीट से उम्मीदवार का ऐलान नहीं करेगी। बता दें कि नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 9 नवंबर है।

इस बीच दोनों ही पार्टियों के लिए बागी बड़ी समस्या बने हुए हैं। उनको मनाने केे लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता जुटे हैं। भाजपा के 19 बागी मैदान में है। इसमें से 5 तो पूर्व मंत्री है। झोटवाड़ा से राजपाल शेखावत, कामां से मदन मोहन, शाहपुरा से कैलाश मेघवाल, डीडवाना से यूनुस खान और खंडेला से बंशीधर बाजिया। चित्तौड़गढ़ से निवर्तमान विधायक चंद्रभान आक्या भी बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने इस सीट से वसुंधरा समर्थक नरपत सिंह राजवी को उम्मीदवार बनाया है। राजवी की नामांकन रैली में उतनी भीड़ नहीं जुटी जितनी जुटनी चाहिए थी। इस बीच आक्या की रैली में समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा।

कांग्रेस के 16 और भाजपा के 19 बागी मैदान में

इस बीच कुछ रोज पूर्व भाजपा में शामिल होने वाले शिव से रविंद्र सिंह भाटी भी टिकट नहीं मिलने से नाराज हो गए और उन्होंने शिव ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। कांग्रेस में बागियों की संख्या कम नहीं है। यहां से 16 बागी मैदान में है, लेकिन पार्टी को नुकसान पहुंचा सकते हैं। लूणकरणसर से वीरेंद्र बेनीवाल, शाहपुरा ने आलोक बेनीवाल और नागौर से हबीबुर्रहमान बागी होकर चुनावी मैदान में ताल ठोक चुके हैं। इस बीच सूरसागर से रामेश्वर दाधीच भी चुनाव मैदान में है। वे इससे पहले जोधपुर के मेयर रह चुके हैं। वे सीएम गहलोत के करीबी भी माने जाते हैं।

सीएम के दोनों करीबी बागी

इस बीच एक और नाम है राजेंद्र गहलोत। राजेंद्र गहलोत भी सीएम के काफी करीबी माने जाते हैं। जेडीए के चैयरमेन रह चुके हैं लेकिन घोटाले में नाम सामने आने के बाद राजस्थान छोड़कर गुजरात चले गए। कुछ समय बाद वापस लौटे लेकिन अभी तक उनके पास कोई पद नहीं है। कुल मिलाकर जोधुपर में सीएम गहलोत के दोनों करीबी चुनाव मैदान में है। ऐसे में अगर ये बागी नहीं मानते हैं तो भाजपा का नुकसान होना तय है। भाजपा को नुकसान ज्यादा होगा क्योंकि पार्टी सत्ता में वापसी की कोशिशों मे जुटी है। बागियों के मैदान में उतरने से अब इन सीटों पर विपक्षी उम्मीदवार के जीतने की संभावना ज्यादा है। इसे हम आंकड़ों के जरिए समझते हैं।

ये है बागियों का गणित

पिछले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच महज 0.5 फीसदी वोटों का अंतर था। करीब डेढ़ लाख वोटों के अंतर ने दोनों पार्टियों में 27 सीटों का अंतर आ गया था। इसमें में भी 9 सीटें ऐसी थी जहां 1 हजार से भी कम वोट से हार जीत हुई। इन 9 में से 4-4 सीटें कांग्रेस और भाजपा वहीं 1 सीट अन्य के खाते में गई। जबकि 29 सीटें ऐसी थी जिसमें हार जीत का फैसला 1 हजार से 5 हजार के बीच था। इन 29 में से 13 भाजपा, 9 कांग्रेस, 3 निर्दलीयों और 4 अन्य वोट कटवा पार्टियों के पास गई थी।

बगावत थामना जरूरी

ऐसे में अगर दोनों पार्टियां बागियों की बगावत को नहीं थामती है तो कांग्रेस को कम और भाजपा को नुकसान होने की संभावना ज्यादा है। इसी रणनीति के कारण ही कांग्रेस ने अपने अधिकांश टिकट रिपीट किए हैं। कि अगर भाजपा प्रदेश में 90 से 95 सीट जीतती है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस निर्दलीय और अन्य पार्टियों के सहयोग से सरकार बना सकती है।

HISTORY

Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Nov 07, 2023 12:24 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें
Exit mobile version