Jodhpur: इन दिनों राजस्थान सरकार का सड़क से लेकर सत्ता के गलियारों तक एक बिल को लेकर बड़ा विरोध हो रहा है। राजस्थान सरकार राइट टू हेल्थ बिल जाने की तैयारी में है। लेकिन बिल के आने से पहले ही बड़े निजी अस्पतालों और डाॅक्टर्स ने इनका विरोध शुरू कर दिया था।
बता दें कि बिल के विरोध में केवल निजी अस्पताल ही नहीं है बल्कि बड़े सरकारी अस्पतालों ने भी एक दिन के लिए ओपीडी बंद रखी। सरकार ने भी वार्ता कर हल निकालने की कोशिश की। लेकिन सभी कोशिशें विफल रही।
सीएम ने साधा निशाना
सीएम अशोक गहलोत ने जोधपुर में बिल का विरोध करने वाले डाॅक्टर्स पर निशाना साधते हुए कहा कि बड़े हॉस्पिटल इस बिल काे लेकर नखरे कर रहे हैं। उनको ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वह पैसा कमाते हैं, जबकि ये सेवा का काम है। सीएम सोमवार को व्यास मेडिसिटी के लोकार्पण समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे।
संविधान का जिक्र कर साधा निशाना
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सीएम गहलोत ने कहा कि आपको आपको मालूम होना चाहिए कि संविधान के अंदर भी शिक्षा और स्वास्थ्य को कमाई के लिए नहीं बल्कि सेवा की श्रेणी में रखा गया है। इसलिए इनके संचालन के लिए ट्रस्ट बनाना पड़ता है, सोसाइटी बनानी होती है। पैसा कमाओ तो उसी में लगाओ।
वो अलग बात है कि कुछ लोग पैसे का अलग जगह उपयोग करते होंगे। लेकिन, भावना ये होनी चाहिए। सरकार की सेवा भावना को देखते हुए उन्हें आगे आना चाहिए और सरकार का सहयोग करना चाहिए।
राज्य में करीब 2 हजार प्राइवेट हाॅस्पिटल संचालित
राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में कुछ दिनों पहले प्रदेश के करीब 1500 प्राइवेट हॉस्पिटल ने चिरंजीवी और आरजीएचएस के तहत सर्विस देने से मना कर दिया था। आंकड़ों के मुताबिक राज्य में वर्तमान में करीब 2 हजार प्राइवेट हॉस्पिटल संचालित हैं। इनमें 75 फीसदी हॉस्पिटल ऐसे हैं, जो आरजीएचएस और चिरंजीवी योजना के तहत सर्विस देते हैं। आरजीएचएस के तहत अभी प्राइवेट हॉस्पिटल्स में 150 से 250 रुपए में ओपीडी शुल्क लिया जाता है।