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दौसा में कैसे हार गए किरोड़ी लाल मीणा के भाई? ये रहे बड़े कारण

Kirodi Lal Meena Jagmohan Meena: बीजेपी के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को दौसा विधानसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के बाद किरोड़ी लाल का दर्द छलक उठा।

Edited By : Pushpendra Sharma | Updated: Nov 23, 2024 21:12
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Kirodi Lal Meena Jagmohan Meena
Kirodi Lal Meena Jagmohan Meena

Kirodi Lal Meena Jagmohan Meena: राजस्थान में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 7 में से 5 सीटों पर जीत हासिल की है। हालांकि दौसा में बीजेपी को कांग्रेस के हाथों हार का सामना करना पड़ा है। दौसा में कांग्रेस प्रत्याशी डीसी बैरवा ने किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगमोहन मीणा को 2300 वोटों से शिकस्त दी। भाई की इस हार के बाद किरोड़ीलाल का दर्द फूट पड़ा। उन्होंने भीतरघात का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा- ”जिस भाई ने परछाईं बनकर जीवन भर मेरा साथ दिया, मेरी हर पीड़ा का शमन किया, जब ऋण होने का मौका आया तो कुछ जयचंदों के कारण मैं उसके ऋण को चुका नहीं पाया। मुझमें बस एक ही कमी है कि मैं चाटुकारिता नहीं करता और इसी प्रवृत्ति के चलते मैंने राजनीतिक जीवन में बहुत नुकसान उठाया है।” इस पोस्ट के बाद कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। आखिर जगमोहन मीणा दौसा से चुनाव कैसे हार गए? आइए जानते हैं…

बीजेपी का कोर वोट खिसका 

सूत्रों के अनुसार, जगमोहन मीणा को बीजेपी का कोर वोट नहीं मिला। कोर वोट में बड़ी भूमिका निभाने वाले ब्राह्मण, बनिया, राजपूत, कुम्हार और ओबीसी में शामिल जातियों के वोट कम मिले। दौसा में करीब 30 से 40 हजार ब्राह्मण वोट हैं। जबकि करीब 10 हजार वोट वैश्य जाति के हैं। वहीं 30 से 40 हजार वोट ओबीसी में शामिल अन्य जातियों के बताए जाते हैं। बताया जा रहा है कि ये वोट बैंक खिसक गया।

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उठ रहे ये सवाल 

सवाल ये भी उठ रहे हैं कि चुनाव के दौरान मीणा बहुल क्षेत्र में पुलिस का भारी जप्ता क्यों लगाया गया? क्या इससे बीजेपी के वोटर डर गए या नाखुश रहे? किरोड़ीलाल के समर्थकों का दावा है कि मीणा वोट बैंक का करीब 70 प्रतिशत उन्हें मिला है। मीणा वोटर यहां करीब 66000 हैं। ऐेसे में जगमोहन समर्थकों का मानना है कि अगर कोर वोट मिलता तो हालात कुछ और होते।

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किरोड़ी लाल मीणा का बयान 

इस बीच किरोड़ीलाल का एक बयान चर्चा में है, जो उन्होंने प्रचार के दौरान दिया था। उन्होंने कहा था कि पुलिस दौसा में देवली-उनियारा की तरह काम कर रही है। पुलिस का रवैया सही नहीं है। यानी किरोड़ीलाल ने खुद अपनी ही सरकार और पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठा रहे थे। बता दें कि दौसा में करीब 62 प्रतिशत वोट पड़े। माना जाता है कि वोटिंग अच्छी होने का फायदा बीजेपी को मिलता है, लेकिन यहां उल्टा हो गया। बीजेपी प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा।

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सचिन पायलट का असर 

दरअसल, दौसा का मुकाबला किरोड़ीलाल बनाम सचिन पायलट हो गया था। दौसा में सचिन पायलट का प्रभाव देखने को मिलता है। उन्होंने भी यहां कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने में पूरा जोर लगाया और कोर वोटर्स पर निशाना साधा। यहां करीब 23 हजार गुर्जर वोट हैं। सचिन पायलट यहां से सांसद भी रह चुके हैं।

क्या रहा परिणाम? 

दौसा विधानसभा सीट पर रिकाउंटिंग कराई गई। इसके बाद कांग्रेस प्रत्याशी डीसी बैरवा ने जीत दर्ज की। डीसी बैरवा को 75536 वोट जबकि बीजेपी उम्मीदवार मीणा को 73236 वोट हासिल हुए।

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Written By

Pushpendra Sharma

First published on: Nov 23, 2024 09:09 PM

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