Farmers Protest in Jaipur: संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर राजस्थान के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित कई अन्य मांगों को लेकर शनिवार को जयपुर में एक बार फिर सडक़ पर उतरे। किसानों ने पेंशन, एमएसपी, बिजली संशोधन विधेयक 2022 को वापस लेने और उनके खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों सहित अन्य मांगों को पूरा करने के लिए शहर में विरोध मार्च निकाला।
इस दौरान उनकी पुलिस के साथ जमकर धक्का मुक्की भी हुई। इसके बाद आपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए किसानों ने राजभवन की ओर कूच किया। सिविल लाइंस फाटक के पास पुलिस ने उन्हेे रोका और उनकी समझाइश की जिसके बाद पांच सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर ज्ञापन देने के लिए तैयार हुआ किसानों के इस मार्च को केन्द्रीय श्रमिक संगठनों का भी समर्थन मिला है।
Rajasthan | On call of Samyukt Kisan Morcha, farmers took out a protest march across cities regarding fulfilling their demands on pension, MSP, withdrawal of Electricity Amendment Bill 2022 & all false cases registered against them along with other demands. Visuals from Jaipur. pic.twitter.com/afKL1BLeQZ
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) November 26, 2022
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पहले किया था राजभवन मार्च का ऐलान
बता दें संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से राजस्थान सहित देश भर में राजभवन मार्च का ऐलान किया गया था। इसी के तहत शनिवार को प्रदेश के किसान शहीद स्मारक पर एकत्र हुए और यहां से राजभवन मार्च निकालने का प्रयास किया। जैसे ही किसान शहीद स्मारक से बाहर आने लगे मौके पर मौजद पुलिस प्रशासन ने उन्हें रोकने का प्रयास किया और बेरिकेट्स लगा दिए लेकिन किसानों ने बेरिकेट्स तोड़ दिए और नारेबाजी करते हुए सडक़ पर आ गए।
आंदोलन में और तेजी लायी जाएगी
गौरतलब है कि मोदी सरकार की नकारात्मक प्रतिक्रिया को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने आने वाले समय में आंदोलन को और ज्यादा तेज करने की कार्य योजना तय की गई, जिसमें गांव स्तर से शुरू होकर पूरे देश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों को आयोजित किया जाएगा।
आने वाले कुछ दिनों में नेताओं से करेंगे ये सब मांग
इसके अलावा किसानों ने बताया है कि राजभवन मार्च के बाद 1 दिसंबर से 11 दिसंबर तक सभी राजनीतिक दलों के लोकसभा और राज्यसभा सांसदों और सभी राज्य विधानसभाओं के नेताओं और विधायकों के कार्यालयों तक मार्च निकाले जाएंगे। उन सभी जनप्रतिनिधियों को मांग पत्र प्रस्तुत किया जाएगा। जिसमें मांग की जाएगी कि वे किसानों की मांगों के मुद्दे को संसद /विधानसभाओं में उठाएं और इन मुद्दों पर बहस और समाधान के जरिए अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करें।