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राजस्थान में 5 सीटों पर बीजेपी की हार तय? उपचुनाव से पहले वसुंधरा को मनाने में जुटी पार्टी

CM Bhajan Lal Sharma Meet Vasundhara Raje: सीएम भजनलाल शर्मा रविवार शाम अचानक बिना किसी कार्यक्रम के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मिलने पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच करीब 1 घंटे तक बातचीत हुई। जानकारों की मानें तो वसुंधरा की निष्क्रियता ने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं।

उपचुनाव से पहले वसुंधरा को सक्रिय करने की कोशिश
Rajasthan Assembly By Poll 2024: राजस्थान में लोकसभा के नतीजे घोषित होने के बाद सीएम भजनलाल की असली परीक्षा 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव है। दोनों ही दलों के अलावा क्षेत्रीय दल भी बीजेपी के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। लोकसभा चुनाव में खींवसर के हनुमान बेनीवाल, दौसा से मुरारी लाल मीणा, झुंझुनूं से बृजेंद्र ओला, टोंक-सवाईमाधोपुर से हरीश मीणा, बांसवाड़ा-डूंगरपुर से राजकुमार रोत सांसद बन चुके हैं। ऐसे में झुंझुनूं, खींवसर, चौरासी, देवली-उनियारा, दौसा सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव होंगे। सबसे दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर चुनाव हारी थी। ऐसे में उपचुनाव में कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला बीजेपी को परेशान कर सकता है। उधर कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन करके चुनाव लड़ सकती है।

वंसुधरा से क्यों मिले सीएम भजनलाल?

इस बीच खबर है कि सीएम भजनलाल शर्मा ने रविवार शाम को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से उनके घर जाकर मुलाकात की। मुलाकात को लेकर लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। विश्लेषकों की मानें तो सीएम भजनलाल पूर्व सीएम से रिश्ते सामान्य करने की कोशिश में जुटे हैं। जब से भजनलाल सीएम बने हैं तब से ही वसुंधरा ने पार्टी की मीटिंगों और कार्यक्रमों से किनारा कर लिया है। लोकसभा चुनाव में भी वे प्रचार से दूर रही। जानकारी के अनुसार वे अपने पुत्र दुष्यंत सिंह के संसदीय क्षेत्र बारां-झालावाड़ में सक्रिय रही। ऐसे में भजनलाल का वसुंधरा के घर पहुंचना सियासी रणनीतिकारों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।

वसुंधरा की निष्क्रियता के कारण गंवाई सीटें

राजस्थान की सियासी समझ रखने वालों की मानें तो लोकसभा चुनाव में हार के बाद वसुंधरा की निष्क्रियता का मुद्दा भी उठा था। जिस तरह पार्टी ने उनको उठाकर सत्ता से दूर किया था वह तरीका भी गलत था और मौका भी नहीं था। ऐसे में वसुंधरा की निष्क्रियता ने पार्टी का ईस्ट राजस्थान में सूपड़ा साफ करवा दिया। खुद कांग्रेस के जीते हुए सांसद कहते हैं कि अगर वसुंधरा सक्रिय होती तो उनका जीतना मुश्किल था। ऐसे में पार्टी ने फीडबैक के आधार पर वसुंधरा को फिर से टटोलना शुरू कर दिया है। हालांकि वसुंधरा मानती है या नहीं ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा। ये भी पढ़ेंः  लेडी टीचर के सिर पर इस कदर हावी हुई शराब, कॉलर से पकड़ प्रिंसिपल को किया स्कूल से बाहर

शिक्षा मंत्री के बयान से आफत में बीजेपी

बता दें कि राजस्थान में पांच सीटों पर उपचुनाव होने हैं। देवली उनियारा, दौसा सीटों पर मीणा और गुर्जर वोटर्स बहुतायत में हैं। ऐसे में इन वोटों का बंटवारा ही जीत तय करेगा। झुंझुनूं और खींवसर सीट पर जाट वोटर्स निर्णायक हैं। यहां पर भाजपा की जीत की संभावना भी है। दोनों ही जगहों पर पार्टी को बहुत ही कम अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। 2023 के विधानसभा चुनाव में तो पार्टी ने खींवसर सीट मात्र 2000 वोटों से गंवा दी थी। वहीं चौरासी सीट के आदिवासी बहुल होने और शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के डीएनए वाले बयान के बाद से ही बीजेपी बचाव की मुद्रा में है। ये भी पढ़ेंःमीणा के इस्तीफे से बीजेपी को कितना नुकसान? राजस्थान उपचुनाव में दो सीटों पर प्रभाव डालेंगे बाबा!


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