Special Birthday Celebrations: राजस्थान के चित्तौडगढ़ से दिल को छू लेने वाली खबर आईं है। जहां चित्तौडगढ़ के एक परिवार ने मां (गाय) की मौत के बाद बेसहारा हुई बछड़ी( गौरी) के एक साल की होने पर बर्थ-डे मनाया। इसके लिए कार्ड छपवाए, बछड़ी को नए कपड़े और चांदी की पायल पहनाई गई। गौरी को मेहंदी लगाई गई। 151 किलो लापसी का केक बनवाकर काटा गया। बर्थ-डे पर बछड़ी को दुआ देने के लिए कई गौ-भक्त भी पहुंचे।
गौ-शाला के संचालक आशीष नराणीवाल ने बताया कि ‘गौरी’ गुरुवार (12 अक्टूबर) को एक साल की हो गई। गौशाला में ही उसका जन्म हुआ था। उसके जन्म के बाद ही उसकी मां की मौत हो गई थी। संचालक ने बताया कि गौरी बच्चों जैसे ही नाज-नखरे करती है। इशारों-इशारों में अपनी इच्छाओं को बताती है।
बछड़ी के जन्म के बाद ही गाय की मौत हो गई थी
गौशाला के संचालक आशीष नराणीवाल ने बताया कि 10 अक्टूबर 2022 को गाय के एक्सीडेंट की सूचना मिली थी। एंबुलेंस से घायल गर्भवती गौ-माता को गौशाला लाया गया था। उसकी हालत बेहद गंभीर थी। 12 अक्टूबर को ‘गौरी’ का जन्म हुआ था। गौरी’ के जन्म के तीन दिन बाद ही उसकी मां की मौत हो गई थी। ऐसे में उसकी बछड़ी ‘गौरी’ को घर लेकर आए, ताकि देखभाल हो सकें। घरवालों को इतना लगाव हो गया था कि उसे दुबारा गौ-शाला छोड़ने ही नहीं गये। बच्चे की तरह उसका लालन-पालन किया।
घर पर बनाया स्पेशल बेड
परिवार वालों ने बताया कि गौरी के खाने के बाद ही परिवार के लोग खाना खाते हैं। हाथ में भोजन लेते ही गौरी इशारों में समझा देती है कि उसे पहले खाना है। उसके लिए घर पर स्पेशल बेड भी लगा हुआ है।
नराणीवाल के ‘गौरी’ बेहद करीब है। वैसे तो घर पर वो सबकी लाडली है, लेकिन उनके साथ एक अलग ही रिश्ता है। उनकी एक आवाज से ‘गौरी’ चली आती है।
‘गौरी’ को बच्चे की तरह मानते
परिवारवाले गौरी को बेटी की तरह मानते है। इस वजह से उसका पहला जन्मदिन धूमधाम से मनाने का फैसला किया था। उसके बर्थ-डे पर पूरी गौशाला को गुब्बारे से सजाया गया था। 500 लोगों को निमंत्रण देने के लिए कार्ड भी छपवाए थे। संतों को भी इस आयोजन में आमंत्रित किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन होने चाहिए। गायों की सेवा करना पुण्य का काम होता है।
दिये ये तोहफे
नराणीवाल ने बताया कि गुरुवार सुबह ‘गौरी’ को मेहंदी लगाई गई थी। उसके बाद उसको शाम को पूजा-पाठ कर नए कपड़े पहनाए गए थे। रोली-चावल लगाकर माला पहनाई गई थी। चांदी का कंदोरा और चांदी की पायल पहनाई गई थी। रात को सुंदरकांड का पाठ भी रखा गया था। आयोजन में लगभग एक लाख रुपए का खर्चा हुआ है।