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शिंदे गुट के विधायकों को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों भेजा नोटिस, क्या समय से पहले होगा विधानसभा चुनाव?

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे खेमे के 16 विधायकों को सोमवार को नोटिस जारी किया। यह नोटिस स्पीकर के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी की गई।

सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट को भेजा नोटिस (फाइल फोटो)
Supreme Court Send Notice to Eknath Shinde Faction MLAs After Shiv Sena Judgement: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 38 विधायकों को नोटिस जारी किया। यह नोटिस उद्धव गुट की याचिका पर जारी किया गया है। उद्धव गुट ने शिंदे खेमे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने के स्पीकर राहुल नार्वेकर के फैसले को चुनौती दी है। स्पीकर ने शिंदे गुट को असली शिवसेना माना है। चीफ जस्टिस की पीठ ने जारी किया नोटिस चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शिंदे गुट के सभी 39 विधायकों को नोटिस जारी किया है। इन विधायकों के खिलाफ स्पीकर के चुनाव और फ्लोट टेस्ट के दौरान सदन में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने के लिए दलबदल विरोधी कानून के तहत ठाकरे खेमे द्वारा अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई थीं। इस मामले में दो सप्ताह के बाद फिर से सुनवाई करेगी। पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं। अक्टूबर में हो सकते हैं विधानसभा चुनाव सोमवार को संक्षिप्त सुनवाई के दौरान, अदालत ने यूबीटी समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि उन्होंने पहली बार में हाई कोर्ट का दरवाजा क्यों नहीं खटखटाया। इस पर वकीलों ने कहा कि जब तक हाई कोर्ट उनकी याचिका पर फैसला करेगा तब तक मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल शायद समाप्त हो जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि इस साल अक्टूबर में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होंगे। कपिल सिब्बल ने क्या कहा? कपिल सिब्बल ने कहा कि हम इस अदालत (सुप्रीम कोर्ट) के फैसले के उल्लंघन पर बहस कर रहे हैं। हम इस अदालत के फैसले की व्याख्या की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा अनुरोध है कि इस अदालत को सुनवाई और निर्णय करना चाहिए। इस पर पीठ ने सहमति जताते हुए ठाकरे गुट के नेता और विधायक सुनील प्रभु की याचिका पर नोटिस जारी कर सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की। सुनील प्रभु ने अपनी याचिका में 10 जनवरी को स्पीकर के दिए फैसले को बाहरी और अप्रासंगिक करार दिया। उन्होंने कहा कि स्पीकर का फैसला गलत था। यह दल बदल विरोधी कानून और सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल मई में दिए फैसले के भी खिलाफ है। यह भी पढ़ें: Shiv Sena Judgement पर एकनाथ शिंदे बोले- पार्टी किसी की जागीर नहीं, लोकतंत्र की हुई जीत बता दें कि पिछले साल 11 मई को दिए अपने फैसले में संविधान पीठ ने राज्यपाल के उस फैसले को अमान्य करार दिया था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट का सामना करने के लिए कहा गया था। हालांकि, पीठ ने ठाकरे को वापस सत्ता में लाने से इनकार कर दिया। इसकी वजह यह थी कि ठाकरे ने विधानसभा में बिना विश्वास मत का सामना किए स्वेच्छा से इस्तीफा दे दिया था। उस समय पीठ ने स्पीकर राहुल नार्वेकर पर शिंदे और ठाकरे समूह के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने की जिम्मेदारी सौंप दी। पीठ ने ठाकरे गुट की इस दलील को खारिज कर दिया कि अदालत को अयोग्यता याचिकाओं पर खुद फैसला करना चाहिए। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को माना असली शिवसेना चुनाव आयोग ने 17 फरवरी, 2022 को शिंदे गुट को शिवसेना पार्टी का नाम और उसका निशान धनुष-बाण देने का फैसला चुनाया। बाद में, प्रभु ने शिंदे सहित 39 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में स्पीकर द्वारा की गई देरी के खिलाफ शिकायत करते हुए फिर से अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस पर 13 अक्टूबर को याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने नार्वेकर की खिंचाई की और कहा कि उन्होंने अयोग्यता याचिकाओं के फैसले को 'मजाक' बना दिया है। 'स्पीकर कोर्ट के आदेशों को विफल नहीं कर सकते' पीठ ने कहा कि स्पीकर अपने फैसले में देरी करके कोर्ट के आदेशों को विफल नहीं कर सकते। इस बात पर जोर देते हुए कि दल-बदल विरोधी कानून की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए, पीठ ने 30 अक्टूबर को नार्वेकर को अयोग्यता याचिकाओं पर 31 दिसंबर तक फैसला करने का निर्देश दिया। नार्वेकर के अनुरोध के बाद 15 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने इस समय सीमा को 10 दिनों के लिए बढ़ा दिया था। जून 2022 में गिरी महा विकास अखाड़ी सरकार बता दें कि जून 2022 में एकनाथ शिंदे और 38 अन्य विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया, जिससे तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई। इसके बाद एकनाथ शिंद ने सीएम, तो देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। यह भी पढ़ें: क्या कहता है शिवसेना का संविधान? वो बातें, जो आपके लिए जानना जरूरी है


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