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‘इतना भयानक हादसा, मंजर देख कलेजा फट गया’; Mumbai Boat Accident की आंखोंदेखी और आपबीती

Mumbai Boat Accident: मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया के पास समुद्र में नाव पलटने से 13 लोगों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बचाया गया, लेकिन हादसा इतना भयानक था कि बचाव अभियान करने वाले भी सहम गए। पढ़ें बचाव कर्मियों की जुबानी हादसे की आंखोंदेखी...

मुंबई में समुद्र के पास हादसा देखकर लोगों में दहशत फैल गई।
Mumbai Boat Accident Inside Story: महाराष्ट्र के मुंबई शहर में गेटवे ऑफ इंडिया के पास अरब सागर में भीषण हादसा हुआ। गेटवे ऑफ इंडिया से एलिफेंटा जा रही नीलकमल नामक बोट समुद्र में पलट गई। हादसा इंडियन नेवी की बोट की टक्कर से हुआ। नीलकमल बोट में 100 से ज्यादा लोग सवार थे, जिनमें से 13 लोगों की टक्कर लगने से डूबने से मौत हो गई। मरने वालों में 4 नौसेना के अधिकारी हैं। 20 बच्चों समेत 100 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। बोट लोगों को एलिफेंटा की गुफाएं दिखाने ले जा रही थी कि बुचर द्वीप के पास हादसे का शिकार हो गई। सूत्रों के मुताबिक, नेवी बोट की टक्कर लगने से फेरी बोट का बैलेंस बिगड़ गया। टक्कर लगने से बोट को नुकसान पहुंचा और उसमें पानी भरने लगा। यह देखते ही लोगों में चीख पुकार मच गई और फिर देखते ही देखते बोट पलट गई। सभी लोग पानी में गिर गए और जान बचाने के लिए चीखने चिल्लाने लगा। हादसे का पता लगते ही रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंच गई थीं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिजन को 5 लाख मुआवजा देने का ऐलान किया है। मुंबई पुलिस और इंडियन नेवी मिलकर हादसे की जांच करेगी। दोषी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश हैं।  

रेस्क्यू टीमों ने सुनाई हादसे की आंखोंदेखी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई पोर्ट ट्रस्ट की पायलट बोट पूर्वा के चालक आरिफ बामने ने हादसे की आंखोंदेखी बताई। उन्होंने बताया कि जब वे रेस्क्यू टीम लेकर मौके पर पहुंचे तो मंजर देखकर उनका कलेजा फट गया। महिलाएं-बच्चे जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे। चीखते-चिल्लाते हुए हाथ-पैर मार रहे थे। कुछ लोग बिलख-बिलख कर रो रहे थे। प्राथमिकता महिलाओं और बच्चों को बचाना है। मछली पकड़ने वाली नाव और एक टूरिस्ट बोट पहले ही उन तक पहुंच चुकी थी। सबसे पहले पीड़ितों को शांत किया गया। उनकी टीम जवाहर दीप से मुंबई जा रही थी, तभी कंट्रोल रूम से हादसे की सूचना मिली। बामने ने बताया कि उनके साथ सिर्फ़ 4 लोग सवार थे, लेकिन उन्होंने दूसरी रेस्क्यू टीमों के आने से पहले फंसे हुए लोगों को बचाने की पूरी कोशिश की। मदद के लिए चिल्लाने वालों में 3 से 4 विदेशी भी थे। लगभग 20-25 लोगों को बचा लिया, जिन्हें बाद में नौसेना की रेस्क्यू बोट में शिफ्ट कर दिया गया। 18 साल के करियर में छोटे बचाव अभियान देखे हैं, लेकिन बुधवार को हुआ हादसा सबसे भयावह और दुखद था। यह अब तक का सबसे बड़ा बचाव अभियान रहा। एक छोटी बच्ची बेसुध थी, क्योंकि उसके फेफड़ों में पानी घुस गया था। उसकी छाती पर दबाव डाला और उसे सांस लेने में मदद की। धीरे-धीरे उसकी सांसें सामान्य हो गईं तो एक जिंदगी बचाने का सुकून मिला। टूरिस्ट बोट के चालक इकबाल गोठेकर ने बताया कि उनकी नाव एलिफेंटा द्वीप से आ रही थी कि हादसे के बारे में पता चला और वे तुरंत मौके पर पहुंचे। साल 2004 से नाविक हूं तो रेस्क्यू टेक्निक के बारे में पता है। टूरिस्टों के साथ मिलकर करीब 16 लोगों की जान बचाई और उन्हें गेटवे ऑफ इंडिया तक पहुंचाया।   बता दें कि इंडियन नेवी, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT), तटरक्षक बल, यलोगेट पुलिस स्टेशन और मछुआरों ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। नेवी की 11 बोट, मरीन पुलिस की 3 बोट और कोस्ट गार्ड की एक बोट समेत 4 हेलीकॉप्टर रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल रहे। नेवी ने X हैंडल पर पोस्ट लिखकर जानकारी दी कि नेवी की स्पीड बोट इंजन के ट्रायल पर थी कि अचानक कैप्टन का कंट्रोल छूट गया और बोट नीलकमल फेरी बोट से टकरा गया। स्पीड बोट में नेवी के 6 कर्मचारी थे, जिनमें से 4 की मौत हो गई। मरने वालों में एक नेवी कर्मचारी और 2 OEM (ऑरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) शामिल हैं। एक कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हुआ।


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