महाराष्ट्र में शुरू की गई ‘लाडकी बहन योजना’ अब राज्य सरकार के लिए मुश्किलों का कारण बनती जा रही है। इस योजना के तहत महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये सीधे उनके बैंक खातों में दिए जा रहे थे। विधानसभा चुनाव के दौरान इस योजना का खूब प्रचार हुआ और सरकार ने वादा किया था कि यह राशि जल्द ही 2100 रुपये कर दी जाएगी। महिलाओं ने सरकार को भारी समर्थन भी दिया, लेकिन अब सरकार अपने वादे पर कायम नहीं रह पा रही है। राज्य के सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसाट ने खुद स्वीकार किया है कि इस समय योजना की राशि को बढ़ाना संभव नहीं है।
मंत्री ने मानी आर्थिक परेशानी
मंत्री शिरसाट ने बताया कि योजना को चलाने के लिए राज्य सरकार को भारी आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि महिला और बाल कल्याण विभाग को बजट देने के लिए आदिवासी विकास और सामाजिक न्याय विभाग से फंड लिया जा रहा है। उन्होंने इस पर नाराजगी भी जताई और कहा कि एक विभाग का पैसा दूसरे को देना ठीक नहीं है। इससे साफ हो गया है कि ‘लाडकी बहन योजना’ को लेकर सरकार के अंदर ही असहमति है। आर्थिक संकट के कारण सरकार ने कुछ लाभार्थियों को योजना से बाहर भी कर दिया है।
लाभार्थियों की कटौती पर विपक्ष का हल्ला बोल
सरकार कह रही है कि योजना को बंद नहीं किया जाएगा, लेकिन सच्चाई ये है कि करीब 13 लाख महिलाओं को योजना से हटा दिया गया है। वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की महिला इकाई बुधवार को कलेक्टर ऑफिस पहुंचने वाली है, जहां वे सरकार को वादा याद दिलाते हुए ज्ञापन देंगी। उनका आरोप है कि यह योजना सिर्फ एक चुनावी स्टंट थी, ताकि महिलाओं के वोट हासिल किए जा सकें। लेकिन चुनाव जीतने के बाद सरकार अब वादों से पीछे हट रही है।
सरकार पर बढ़ा दबाव
विपक्ष का कहना है कि चुनाव से पहले दावा किया गया था कि सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर योजना की राशि बढ़ाई जाएगी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ। इसके बजाय सरकार लाभार्थियों की संख्या कम कर रही है, जिससे महिलाओं में नाराजगी बढ़ रही है। अगर सरकार ने जल्द ही अपना वादा पूरा नहीं किया, तो राज्य में बड़ा आंदोलन हो सकता है। कुल मिलाकर ‘लाडकी बहन योजना’ सरकार के लिए एक ऐसा मुद्दा बन गया है, जिसे संभालना अब आसान नहीं दिख रहा।