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INS Vikrant case: बीजेपी नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे के खिलाफ केस बंद करने से कोर्ट का इनकार, जांच के दिए आदेश

राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया है। अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा सत्यमेव जयते! हिसाब तो देना ही पड़ेगा।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Aug 13, 2024 20:05
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Sanjay Raut and Kirit Somaiya

Maharashtra BJP leader Kirit Somaiya: आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए धन जुटाने संबंधी एक केस में मुंबई की अदालत ने बीजेपी नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले को बंद करने से इनकार कर दिया है। अदालत ने इस मामले में दाखिल क्लोजर रिपोर्ट का निपटारा करते हुए केस में आगे की जांच करने का आदेश दिया।

जांच अधिकारी ने केवल एक जगह जांच

एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट एसपी शिंदे ने 8 अगस्त को मामले में पुलिस की आर्थिक अपराधा शाखा द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि मामले में पुलिस ने इस बात की जांच नहीं की है कि आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए जमा किया पैसा कहां गया? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कई जगह से पैसे एकत्रित किए गए थे, जबकि जांच अधिकारी ने केवल चर्चगेट रेलवे स्टेशन के बाहर की जांच की। ऐसे में पुलिस इस मामले में आगे की जांच करे और दोबारा अपनी रिपोर्ट जमा दाखिल करे।

जांच अधिकारी ने जमा नहीं किया कोई दस्तावेज

अदालत ने सुनवाई के दौरान इस बात पर जोर दिया कि चर्चगेट के अलावा चंदा जमा करने का ये अभियान कई जगहों पर चलाया गया था। लेकिन जांच अधिकारी ने इन जगहों पर जांच करने की जहमत नहीं उठाई। वहीं, जांच अधिकारी ने इस बारे में कोई दस्तावेज जमा नहीं किया कि पैसे राज्यपाल ऑफिस में जमा नहीं हुए थे तो कहां गए? बता दें दिसंबर 2022 में आर्थिक अपराध शाखा ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि उन्होंने चर्चगेट रेलवे स्टेशन के बाहर ऐसे 38 लोग जिन्होंने इस अभियान में चंदा दिया था से पूछताछ की है। आगे जांच रिपोर्ट में  कहा गया था कि एक घंटे के इस अभियान में केवल 10000 रुपये जमा किए थे।

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क्या है पूरा मामला

अप्रैल 2022 में बीजेपी नेता किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया के खिलाफ ट्रोमबे पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। ये एफआईआर पूर्व सैनिक बबन भोंसले ने दर्ज करवाई थी। पूर्व सैनिक का आरोप था कि पिता-पुत्र ने नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को बिक्री से बचाने के लिए अभियान चलाया और कुल 57 करोड़ रुपये एकत्रित किए, जो उन्होंने गबन कर लिए। बता दें आईएनएस विक्रांत को 1961 में नौसेना में शामिल किया गया था। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1997 में इसे सेवामुक्त कर दिया गया था। 2014 में इसे नीलामी में बेच दिया गया था।

संजय राउत ने किया पोस्ट

राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया है। अपने पोस्ट में इस मामले में कोर्ट के ऑर्डर पर आधारित एक न्यूज को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा सत्यमेव जयते! हिसाब तो देना ही पड़ेगा। बता दें बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने पुलिस को दिए एक बयान में दावा किया था कि उन्होंने केवल 11000 रुपये एकत्रित किए और ये पैसे उन्होंने राज्यपाल ऑफिस में जमा कर दिए थे। जबकि शिकायत में सूचना के अधिकार के हवाले से ये दावा किया गया कि राज्यपाल ऑफिस ने ऐसे कोई पैसे प्राप्त करने से इनकार कर दिया है। पूर्व सैनिक ने कहा था कि उन्होंने भी इस अभियान के लिए 2013 में 2000 रुपये का चंदा दिया था।

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HISTORY

Written By

Amit Kasana

First published on: Aug 13, 2024 08:05 PM

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