महाराष्ट्र के मुंबई में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जहां बोरीवली अदालत में एक महिला 17 साल पुराना केस सिर्फ इसलिए हार गई. केस खारिज होने की वजह सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. दरअसल हुआ यूं कि एक महिला के पहले पति पर घरेलू हिंसा का केस पिछले 17 साल से चल रहा था. महिला अपने पति से गुजर भत्ते की मांग कर रही थी. तभी एक ऐसे शख्स की एंट्री हुई जिससे पूरा केस ही पलट गया. वो शख्स कोई और नहीं बल्कि महिला का दूसरा पति था. घरेलू हिंसा के मामले में महिला के दूसरे पति ने अदालत के कटघरे में खड़े होकर अपनी ही पत्नी के खिलाफ गवाही दी. जिसके बाद कोर्ट ने उस केस को खारिज कर दिया.
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क्या है पूरा मामला?
दरअसल, महिला ने साल 2009 में बोरीवली मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपने पहले पति के खिलाफ घरेलू हिंसा मामले में अर्जी दी थी. जिसमें महिला ने बताया गया था कि 2005 में उसकी पहली शादी हुई जोकि एक अरेंज मैरेज थी. शादी के बाद महिला को पता चला कि उसका पति पहले से ही शादीशुदा है और वो अपनी पत्नी के पास आता-जाता है. महिला ने कहा कि उसके पति की पहली पत्नी भी उसके साथ बदसलूकी करती थी. महिला का आरोप था कि उसके पति ने शादी के कई सालों तक उसके साथ शारीरिक, मानसिक और आर्थिक तौर पर शोषण किया, साथ ही उसे घर से भी बाहर निकाल दिया. महिला ने कोर्ट से मासिक गुजर भत्ते की मांग की थी.
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दूसरे पति की गवाही से आया ट्विस्ट
कोर्ट ने 2009 में महिला के पक्ष में फैसला देते हुए पहले पति को 3200 रुपये प्रति माह गुजर भत्ता देने का आदेश दिया था. ये आदेश कोर्ट के फाइनल आदेश तक लागू था. इस केस में ट्विस्ट तब आया जब महिला के वर्तमान पति ने कोर्ट में आकर ये कबूल लिया कि उन दोनों ने कानूनन तौर पर शादी की है. उसने बताया कि पहले पति से तलाक के बाद उन दोनों ने शादी की. पति की गवाही आते ही बचाव पक्ष ने दलील पेश कर दी कि अगर महिला शादीशुदा है तो वो गुजर भत्ते की हकदार कैसे हो सकती है. जिसके बाद महिला 17 साल पुराना केस हार गई.
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