Mulayam Singh Yadav: पिता चाहते थे बेटा बने पहलवान, लेकिन मुलायम सिंह बने 3 बार मुख्यमंत्री
Mulayam Singh Yadav: उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव राजनीति में आने से पहले शिक्षक और एक गठीले पहलवान हुआ करते थे। अखाड़े में लगाए गए उनके दांव राजनीति में भी चर्चा का विषय बने। मुलायम सिंह यादव सिर्फ यूपी के मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि देश के रक्षा मंत्री भी रहे हैं।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई गांव में एक साधारण परिवार में हुआ। जानकारी का कहना है कि पिता सुघर सिंह मुलायम को पहलवान बनाना चाहते थे, लेकिन मुलायम की किस्मत में राजनीति का शिखर था।
ब्राह्मण ने कहा था- कुल का नाम रोशन करेगा बालक
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में मुलायम सिंह का जन्म हुआ तो उनके पिता ने एक ब्राह्मण को बुलाया। नवजात बालक के भविष्य के बारे में पूछा। इस पर ब्राह्मण ने कहा था कि यह बालक खूब पढ़ेगा और आगे जाकर अपने परिवार ही नहीं बल्कि कुल का नाम रोशन करेगा।
मुलायम के पिता ने इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और गांव के स्कूल में उनका दाखिला करा दिया। उनके पिता चाहते थे कि वह एक बड़े स्तर के पहलवान बनें। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उन्होंने पहलवानी के दांव सीखना भी शुरू कर दिया।
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शिक्षक के तौर पर की शुरुआत, साइकिल से जाते थे पढ़ाने
मुलायम सिंह यादव ने एक शिक्षक के तौर पर अपने जीवन की शुरुआत की। शिक्षण के साथ-साथ पहलवानी भी करते थे। जानकारों का कहना है कि अखाड़ों में मुलायम का धोबी पाट दांव काफी चर्चित रहता था। मुलायम अपने से बड़ी कद-काठी वाले पहचान को भी पलभर में धूल चटा दिया करते थे।
कुछ इसी अंदाज में उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में भी कई बड़े दांव खेले और सामने वाले प्रतिद्वंद्वी को पटखनी लगाई। कहा जाता है कि एक बार मैनपुरी में एक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था। जहां अखाड़े में मुलायम के दांव और चतुराई को देख कर नत्थू सिंह उनसे प्रभावित हुए। नत्थू सिंह मुलायम के राजनीतिक गुरु भी बने।
28 साल की उम्र में लड़े विधायक का चुनाव
नत्थू सिंह ने मुलायम सिंह यादव को राजनीति के असल दांव-पेच सिखाए। इसके बाद 28 साल की उम्र में नत्थू सिंह ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर उन्हें जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा। जहां मुलायम सिंह को अच्छे वोटों से जीत हासिल हुई। जानकारों का कहना है कि जसवंतनगर विधानसभा सीट नत्थू सिंह की थी। उन्होंने ने ही मुलायम को यहां उतारा था। वहीं राजनीति में आने के बाद मुलायम सिंह ने शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
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भारतीय क्रांति दल का भी थामा हाथ
संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी राम मनोहर लोहिया की पार्टी थी, जिन्हें मुलायम सिंह अपना राजनीतिक गुरु भी मानते थे। 1967 में मुलायम ने विधानसभा चुनाव जीता, लेकिन 1968 में राम मनोहर लोहिया का निधन हो गया। लोहिया के देहांत के बाद मुलायम सिंह यादव काफी चिंतित हो गए थे।
बाद में उन्होंने बड़े किसान नेता चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल को थाम लिया। माना जाता है कि मुलायम सिंह यादव पिछड़ों और दबे-कुचे लोगों के लिए संघर्ष करते थे। उन्होंने इन वर्गों की आवाज उठाई। राजनिति के जानकारों और मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक लोहिया के आह्वान पर चलाए गए नहर रेट आंदोलन में शामिल होने पर महज 14 साल की उम्र में मुलायम को जेल भी जाना पड़ा था।
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