Trendingind vs saIPL 2025Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024

---विज्ञापन---

महाराष्ट्र सरकार पालघर मॉब लिंचिंग की जांच CBI को ट्रांसफर करने को तैयार, कहा- हमें आपत्ति नहीं

Palghar Mob Lynching Case: महाराष्ट्र के पालघर में 2020 में हुए साधुओं के मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी है। एक हलफनामे में महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए तैयार है और उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी। डीजीपी के कार्यालय में सहायक […]

Palghar Mob Lynching Case: महाराष्ट्र के पालघर में 2020 में हुए साधुओं के मॉब लिंचिंग मामले की जांच सीबीआई को सौंपने की तैयारी है। एक हलफनामे में महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वह सीबीआई को जांच सौंपने के लिए तैयार है और उसे इस पर कोई आपत्ति नहीं होगी। डीजीपी के कार्यालय में सहायक पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह खुलासा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट रिट याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता का हवाला देते हुए मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। गौरतलब है कि तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंपने का विरोध किया था। अभी पढ़ें - Bengal: TMC विधायक माणिक भट्टाचार्य को ED ने किया गिरफ्तार, बंगाल शिक्षा घोटाले में मिला लिंक इसे स्वागत योग्य कदम बताते हुए महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने कहा कि ऐसी घटनाएं महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में दोबारा नहीं होनी चाहिए। लोगों को भी किसी पर हमला नहीं करना चाहिए। खासकर जब वे साधुओं पर हमला करते हैं, हिंदुत्व की बात करने वाले लोग और उनके सीएम थे, फिर भी वह साधुओं को न्याय नहीं दे पाए। हम साधुओं को वापस नहीं ला सकते, लेकिन जो दोषी हैं उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।

क्या है पालघर लिंचिंग केस?

16 अप्रैल, 2020 की रात महाराष्ट्र के पालघर जिले में महंत कल्पवृक्ष गिरि और सुशीलगिरि महाराज एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए नीलेश येलगड़े की गाड़ी से गुजरात जा रहे थे। तीनों दहानू तालुका के गडचिंचले गांव पहुंचे जहां बच्चा चोर होने का संदेह में भीड़ ने पीट-पीटकर तीनों को मार डाला था। अभी पढ़ें - Mulayam Singh Yadav Funeral: मुलायम के अंतिम संस्कार में शामिल होंगे राजनाथ सिंह, अशोक गहलोत और शरद पवार साधुओं समेत गाड़ी के ड्राइवर की पिटाई की जानकारी के बाद कासा पुलिस स्टेशन से 4 पुलिसकमी मौके पर पहुंचे थे। पुलिसकर्मियों ने भीड़ को शांत करने की कोशिश की थी, लेकिन भीड़ शांत नहीं हुई। बाद में पुलिस की एक और टीम मौके पर पहुंची और साधुओं समेत तीन व्यक्तियों को भीड़ से छुड़ाकर अपनी गाड़ी में बैठाया। इसके बाद भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों पर हमला कर दिया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। घटना के बाद कुछ वीडियो सामने आए थे जिसमें पुलिस कर्मियों को चुपचाप खड़ा दिखाया गया, जबकि भीड़ तीन लोगों पर हमला कर रही थी। मामला जब उछला तो भीड़ को रोकने में लापरवाही बरतने के आरोप में कुछ पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी और 126 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। इसी साल अप्रैल में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 10 आरोपियों को जमानत दे दी थी। बता दें कि घटना की जांच शुरुआत में पालघर पुलिस ने की थी। बाद में इसे राज्य सीआईडी क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिया गया था। जांच के थोड़े दिनों के बाद महाराष्ट्र सरकार की जांच पर संदेह जताते हुए जूना अखाड़ा ने सीबीआई और एनआईए जांच की मांग की थी। अभी पढ़ें - प्रदेश से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.