एमपी का CM कौन? 8 दिन बाद भी BJP मौन, 19 साल बाद क्यों नया कदम उठाने को मजबूर हुई पार्टी
MP CM Face Suspense In Hindi : भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में प्रचंड जीत हासिल की है। इसके बाद भी अबतक तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकरार है। इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्वों में भी बैठकों का काफी लंबा दौर चला और फिर पर्यवेक्षकों को नियुक्त कर दिया गया, जो अब तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे। अगर मध्य प्रदेश की बात करें तो भाजपा ने विधानसभा की 230 में से 163 सीटों पर जीत दर्ज की है। अब एमपी का सीएम कौन होगा? इसे लेकर 8 दिन बाद भी बीजेपी मौन है। आइये जानते हैं कि 19 साल बाद क्यों पार्टी नया कदम उठाने के लिए मजबूर हुई है?
भारतीय जनता पार्टी के संसदीय बोर्ड ने मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री चुनने के लिए 3 आर्ब्जवर नियुक्त किए हैं। पर्यवेक्षकों में मनोहर लाल खट्टर, के लक्ष्मण और आशा लाकड़ा के नाम शामिल हैं। ये पर्यवेक्षक आज भोपाल जाएंगे। वे सभी विधायकों से अलग-अलग बात करेंगे और उनकी राय जानेंगे कि कौन अगला सीएम बनने लायक है? भाजपा को 19 साल के बाद सीएम चुनने के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करना पड़ा। कहीं भाजपा के लिए नया प्रयोग (केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनाव लड़ना) ही तो सिरदर्द नहीं बन गया है। बताया जा रहा है कि सोमवार को सीएम फेस से सस्पेंस खत्म हो जाएगा।
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शिवराज की दावेदारी क्यों है प्रबल
इस बार भाजपा ने बिना सीएम फेस के ही मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपनी रैलियों में राज्य की योजनाओं को ज्यादा तवज्जो नहीं देते थे, बल्कि वे अपनी केंद्र की योजनाओं का ही बखान करते थे। बीजेपी की जीत के पीछे शिवराज की लाड़ली बहना योजना का भी अहम योगदान है। ऐसे में मुख्यमंत्री पद की रेस में सबसे आगे शिवराज सिंह चौहान नजर आ रहे हैं। इस बीच शिवराज सिंह रविवार को लाड़ली बहना योजना के तहत सभी महिलाओं के बैंक खाते में सीधे 1250-1250 रुपये ट्रांसफर करेंगे। ऐसे में पार्टी के लिए शिवराज सिंह को दरकिनार करना काफी मुश्किल है।
नया प्रयोग बना सिरदर्द
इस बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव में नया प्रयोग किया। पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को भी चुनावी मैदान में उतारा था। ऐसे में लोकसभा चुनाव 2024 में विधानसभा चुनाव जीते हुए केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को दरकिनार करना पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है। सीएम पद के लिए शिवराज के बाद दूसरा नाम प्रह्लाद सिंह पटेल का आता है। ओबीसी समुदाय से तालुक रखने वाले प्रह्लाद सिंह पटेल ने खुद को अघोषित सीएम प्रोजेक्ट करके विधानसभा चुनाव लड़ा। तीसरा नाम कैलाश विजयवर्गीय का है, जोकि दिल्ली में अपना डेरा जमाए हुए हैं। मध्य प्रदेश में पार्टी की जीत में सबसे ज्यादा योगदान महिलाओं का है, ऐसे में अगर पार्टी किसी महिला उम्मीदवार को सीएम चुनने पर विचार करती है तो उसमें सबसे पहला नाम रीति पाठक का आता है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा भी छुपे रुस्तम साबित हो सकते हैं।
19 साल के बाद क्यों बनाया पर्यवेक्षक
भाजपा को 19 साल के बाद मुख्यमंत्री की तलाश के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त करना पड़ा। भाजपा ने साल 2003 में उमा भारती के चेहरे पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। उमा भारती ज्यादा दिनों तक सीएम नहीं रही और फिर बाबूलाल गौर को सत्ता की कमान मिल गई। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान साल 2005 में एमपी के मुख्यमंत्री बने। फिर पार्टी ने शिवराज सिंह के फेस पर 2008, 2013 और 2018 का चुनाव लड़ा। हालांकि, 2018 में बीजेपी चुनाव हार गई थी, लेकिन डेढ़ साल से भी कम समय के बाद फिर शिवराज ने सत्ता की कमान संभाल ली। हालांकि, इस बार पार्टी ने सीएम फेस के लिए शिवराज के नाम की घोषणा नहीं की। ऐसे में अब पार्टी कोई भी जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए पर्यवेक्षकों को विधायकों के विचार जानने के बाद सीएम चुनने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
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