MP News: विपिन श्रीवास्तव। एक मुहावरा अक्सर लोगों को मुंह से आपको सुनने को मिलता है, जो जीता वहीं सिकंदर, यह मुहावरा न जाने कितनी किताबों में आपने पढ़ा होगा और न जाने कितनी फिल्मों में डॉयलॉग में सुना होगा। लेकिन इस सदियों पुराने मुहावरे से सिकंदर हटाकर, सम्राट विक्रमादित्य कर दिया गया है, जिसे बकायदा पढा बोला और लिखा जाएगा, यह फैसला मध्य प्रदेश की उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी की तरफ से किया गया है।
गुलामी की मानसिकता से आजादी
इस फैसले के बाद विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे का मानना है कि ‘इस फैसले से गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी और युवाओं को प्रेरणा भी मिलेगी, इससे युवा सम्राट विक्रमादित्य को भी समझ पाएंगे। उन्होंने कहा कि अब छात्रों को बदले हुए मुहावरे को पढ़ाया जाए। हालांकि इस मामले में कोई लिखित आदेश तो जारी नहीं किया गया है।
कार्यपरिषद की बैठक में हुआ फैसला
दरअसल, बुधवार को उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में हुई कार्यपरिषद की बैठक में कुलपति प्रोफेसर अखिलेश कुमार पांडे ने इस बारे में सभी प्रोफेसर्स को निर्देश दिए हैं। कुलपति का कहना है कि स्वामी विवेकानंद की वह जीवनी पढ़ रहे थे, उन्होंने बहुत साल पहले भारतवर्ष में अब शुरुआत हो गई हम पुरानी गुलामी की जो चीजें हैं उन्हें मिटाएं, तो इसी को ध्यान में रखते हुए यह विक्रम विश्वविद्यालय जो महान सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर बना है। जो जीता वहीं सिकंदर उसे बदला जाएगा।
कुलपति ने कहा कि छात्रों को विक्रमादित्य के बारे में बता चल सके, इसी के चलते हमने तय किया कि अब हम जो जीता वही सिकंदर की जगह जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य इसी को प्रचारित प्रसारित करेंगे, इसके लिए जहां जहां यह मुहावरा हमारे पाठ्यपुस्तक में होगा चाहे वह हायर एजुकेशन हो, लोअर एजुकेशन में सबसे रिक्वेस्ट किया है इसको बदलिए। इसके अलावा इसी तरह के जो मुहावरे हैं उसके लिए हम मुख्यमंत्री स्कूल शिक्षा मंत्री उच्च शिक्षा मंत्री तमाम कुलपतियों और से चर्चा करेंगे।
कौन थे सम्राट विक्रमादित्य
सम्राट विक्रमादित्य भारत के प्रसिद्ध महाराजा था। मध्य प्रदेश के उज्जैन जिसे पूर्व में उज्जयिनी के नाम से जाना जाता था, उस पर विक्रमादित्य का शासन था। खास बात यह है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत से निर्माण भी करवाए हैं। उन्हें उदारवादी, लोकप्रिय और न्यायप्रिय राजा माना जाता था। बताया जाता है कि मालवा के क्षेत्र में शकों का आक्रमण तेज हो गया था, लेकिन सम्राट विक्रमादित्य सिंह ने शकों को खदेड़ दिया था। जिसके बाद उनके शासन का विस्तार होता गया था।