उज्जैन: ‘100 करोड़ की जमीन विवाद में 95 साल महारानी की हत्या’ राजघराने की बहू ने ननद पर लगाया आरोप
उज्जैन: उज्जैन में नरवर के झाला वंशज राजपरिवार चर्चा में है। इस राजघराने की इकलौती बहू कनकबलि ने 95 साल की महारानी अनिला कुमारी की हत्या का आरोप लगाया है। कनकबलि ने महारानी की हत्या का आरोप उनकी बेटी विभा सिंह पर लगाया है। उनका आरोप है कि महारानी की बेटी विभा सिंह ने 100 करोड़ की जमीन हथियाकर महारानी को मार डाला है। इसके बाद कूटरचित दस्तावेज तैयार कर पावर ऑफ अटॉर्नी ले ली।
कनकबलि सिंह ने ननद पर लगाए गंभीर आरोप
रविवार को राजघराने के राजकुमार हिमावत सिंह और बहू कनकबलि सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कनकबलि सिंह ने बताया कि 22 अक्टूबर 2021 को ननद विभा सिंह के कहने पर कुछ लोग महारानी को पावर ऑफ अटॉर्नी के लिए रजिस्ट्रार ऑफिस ले गए थे। इसके बाद से वे नहीं लौटीं। इसकी शिकायत कलेक्टर ऑफिस और पुलिस में की थी, लेकिन पता नहीं चला। एसडीएम कोर्ट में प्रॉपर्टी संबंधी विवाद चल रहा है। 16 मार्च को उसकी सुनवाई थी। इसी दौरान विभा सिंह ने बताया कि 16 फरवरी 2023 को महारानी अनिला कुमारी की इंदौर के अस्पताल में मौत हो चुकी है। यह सुनकर हम सब शॉक्ड रह गए। एसडीएम के कहने पर भी इस संबंध में न तो कोई सर्टिफिकेट पेश किया गया और न ही उनका शव ही मिला।
महारानी की 100 करोड़ से अधिक की पैतृक जमीन है
कनकबलि सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि मौत के एक महीने बाद के बारे में बताना भी सवाल उठाता है। यहां तक कि हमें और किसी रिश्तेदार तक को उनकी मौत के बारे में नहीं पता था। कनकबलि ने बताया कि मामले की जांच के लिए थाने में भी शिकायत की थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। महारानी की 100 करोड़ से अधिक की 100 बीघा पैतृक जमीन है। कनकबलि का आरोप है कि इसी जमीन को हथियाने के लिए विभा सिंह ने कूटरचित पेपर बनवाए और महारानी से फर्जी डॉक्यूमेंट पर दस्तखत करवा लिए। उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया। महारानी ठीक से सुन भी नहीं सकती थीं। याददाश्त भी कमजोर थी।
राजघराने की अंतिम रानी थीं अनिला कुमारी
राजघराने के इकलौते वारिस हिमावत सिंह ने बताया महारानी अनिला कुमारी नरवर राजघराने की अंतिम रानी थीं। अनिला कुमारी गुजरात के वाजदा इस्टेट की राजकुमारी भी रहीं। उनकी मौत का किसी को भी पता नहीं चला। उनका अंतिम संस्कार किसने, कब और कहां किया गया ये भी किसी को पता नहीं है। उन्होंने कहा कि उनका अंतिम संस्कार नरवर में शाही रीति रिवाजों से किया जाना चाहिए था। उनका प्रोसेशन निकलता। पूरा गांव बंद रहता। उन्हें अंतिम विदाई भी देना चाहिए था। हमें महारानी के अंतिम दर्शन तक नसीब नहीं हुए। अब उनकी मौत के बाद थाने और कलेक्टर ऑफिस से लेकर कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं।
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