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बाबा महाकाल को चढ़ाया जाएगा 11 नदियों का जल, जानिए इसके पीछे की वजह

Ujjain Baba Mahakal: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ ग्रह में विराजित भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न रखने के लिए तरह-तरह के जतन किए जाते हैं। इसलिए अब वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा पर भस्म आरती के बाद 11 नदियों के जल से भरी हुई 11 मटकिया बांधी गई जो भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान […]

Ujjain Baba Mahakal Water of 11 rivers
Ujjain Baba Mahakal: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भ ग्रह में विराजित भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न रखने के लिए तरह-तरह के जतन किए जाते हैं। इसलिए अब वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा पर भस्म आरती के बाद 11 नदियों के जल से भरी हुई 11 मटकिया बांधी गई जो भगवान महाकाल को शीतलता प्रदान करेगी, ताकि उन्हें गर्मी न लगे। भगवान महाकालेश्वर कैलाश निवासी है । ऐसे में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए गर्मी के मौसम में दो माह भक्त इस तरह का जतन करते है। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा निभाई जाती है। इस साल भी यह परंपरा शुरू हो गई है। मंदिर के पुजारी गौरव शर्मा ने बताया कि बाबा महाकाल को गर्मी नहीं लगे इसके लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा आज से मंदिर के पंडित और पुजारी ने मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका शिवलिंग के ऊपर बांधी है, यह पुरानी परंपरा है। इन मटकियों से लगातार जल शिवलिंग पर चढ़ता है। खास बात ये है कि बाबा महाकाल के शिवलिंग के ऊपर जो मटकियां लगाई गयी। उसमें 11 नदियों का जल शामिल होता है।

पुरानी है परंपरा

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित गौरव शर्मा ने बताया कि मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी से बचाने के लिए पुजारी-पुरोहित हर साल शिवलिंग के ऊपर 11 गलंतिका (मटकी) बांधते है । इन मटकियों से सुबह भस्मआरती से लेकर संध्या पूजन से पहले तक भगवान महाकाल पर ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जाती है। ये क्रम दो महीनों तक चलता रहता है । बाबा महाकालेश्वर कैलाश निवासी है ऐसे में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए गर्मी के मौसम में दो माह भक्त इस तरह का जतन करते है। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा भी निभाई जाती है। चांदी के कलश की जलधारा के अलावा मिट्टी की 11 मटकियों से भी जलधाराएं प्रवाहित की जाती है । बता दें, इन मटकियों पर गंगा, यमुना, गोदावरी सहित अन्य नदियों के नाम लिखे गए है मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते है। प्रदेश में अब भीषण गमी का दौर शुरू हो गया है।


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