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मध्य प्रदेश

चपरासी के आंसरशीट जांचने के मामले में सरकार सख्त, मंत्री विश्वास सारंग ने कही ये बात

मध्य प्रदेश के एक कॉलेज में चपरासी से छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करवाने का मामला सामने आया था। इसके बाद लगातार विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है। कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग का बयान सामने आया है। उन्होंने कार्रवाई का भरोसा दिया है। विस्तार से पूरी बात को जान लेते हैं।

Author Edited By : Parmod chaudhary Updated: Apr 8, 2025 20:16
Madhya Pradesh news

मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के पिपरिया में सरकारी कॉलेज के चपरासी द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का मामला तूल पकड़ गया है। मामले में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ये गंभीर मामला है। जांच के बाद प्राचार्य और नोडल अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है। प्रोफेसर और चपरासी पर भी कार्रवाई की जा रही है, छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ के कांग्रेस के आरोपों पर उन्होंने कहा कि सरकार छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध है। कोई भी हो, इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक कॉपियों की जांच के लिए चपरासी ने 5 हजार रुपये लिए थे। चपरासी का कॉपी चेक करते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया था। इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने जांच के बाद कार्रवाई की है। शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में BA के हिंदी विषय के पेपर की जांच चपरासी ने की। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का नाम पन्नालाल पठारिया बताया जा रहा है।

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7 हजार में हुआ सौदा

इस मामले में उच्च शिक्षा विभाग ने जांच समिति गठित की है। समिति ने 3 अप्रैल 2025 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सामने आया कि गेस्ट फैकल्टी खुशबू पगारे को मूल्यांकन के लिए दी गई उत्तर पुस्तिकाएं कॉलेज के चपरासी पन्नालाल पठारिया द्वारा जांची गई थीं। पन्नालाल ने खुद यह स्वीकार किया है कि उसने 5 हजार रुपये में ये काम किया। इस सौदेबाजी की शुरुआत तब हुई, जब खुशबू पगारे ने अपनी खराब तबीयत का हवाला देकर कॉलेज के बुक लिफ्टर राकेश मेहर को कॉपियां जांचने की जिम्मेदारी सौंप दी। राकेश ने 7 हजार रुपये लेकर आगे यह काम 5 हजार में चपरासी को सौंप दिया।

विभाग ने लिया ये एक्शन

विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर 4 अप्रैल को कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य राकेश कुमार वर्मा और प्रोफेसर रामगुलाम पटेल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। विभाग ने साफ कहा है कि प्रशासनिक मुखिया और वरिष्ठ प्राध्यापक होने के नाते उनकी देखरेख में इस तरह की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही गेस्ट फैकल्टी खुशबू पगारे, बुक लिफ्टर राकेश मेहर और चपरासी पन्नालाल पठारिया के खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं।

निलंबित प्राचार्य डॉ. राजेश वर्मा का कहना है कि मुझे शासन के द्वारा एक प्रकरण में निलंबित किया गया है। मेरा कोई कसूर नहीं है। डॉ. शंकर शाह विश्विद्यालय छिंदवाड़ा के द्वारा नोडल अधिकारी रामगुलाम पटेल को नियुक्त किया गया, उन्होंने कॉपियां वितरित कीं, लेकिन शासन ने मुझ पर कार्रवाई की, मैं कोर्ट जाऊंगा। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि ये भाजपा सरकार का दौर है। साहब यहां सब मुमकिन है! यहां परीक्षा की कॉपियों की जांच किसी प्रोफेसर ने नहीं, बल्कि एक चपरासी ने की! हैरानी की बात ये है कि छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाते हुए मात्र चपरासी को कॉपियां जांचने के लिए दे दी गईं और 5000 रुपये भी दिए गए।

एनएसयूआई ने साधा निशाना

इस मामले मे NSUI ने भी सरकार पर सवाल खड़े किए हैं, एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे का कहना है कि यह अजब-गजब मध्य प्रदेश है। मध्य प्रदेश में शिक्षा की स्थिति किस प्रकार है, किस प्रकार से छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाया जा रहा है, ताजा मामला इसका उदाहरण है?

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Apr 08, 2025 08:06 PM

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