वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर
मध्य प्रदेश के दमोह स्थित मिशन अस्पताल में हार्ट सर्जरी के बाद 7 मरीजों की मौत के मामले के तार बिलासपुर से जुड़ गए हैं। खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताने वाले फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। उसका असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जो मूल रूप से उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला है। इस फर्जी डॉक्टर ने बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भी 7–8 मरीजों की जान कुछ साल पहले ली थी। इन लोगों में छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल भी शामिल थे। घटना के बाद आरोपी डॉक्टर नरेंद्र बिलासपुर से फरार हो गया था। दमोह की एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया कि फर्जी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम को यूपी के प्रयागराज से हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस को जानकारी मिली थी कि आरोपी प्रयागराज में है। उसे औद्योगिक थाना क्षेत्र के एक मकान से दबोचा गया है। पुलिस उसे जल्द दमोह लाकर पूछताछ करेगी।
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मामला सामने आने के बाद पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के परिजनों ने जांच की मांग की है। वहीं, अपोलो हॉस्पिटल प्रबंधन 17-18 साल पुराने दस्तावेज खंगाल रहा है। अस्पताल के पीआरओ देवेश गोपाल ने इसकी पुष्टि की है। आरोप है कि राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की मौत भी इसी डॉक्टर की लापरवाही से हुई थी।
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Deadly Deception: Fake Doctor’s Trail of Chaos in Madhya Pradesh
A chilling scandal rocks Damoh as a sham cardiologist, masquerading as “Dr. Narendra John Camm,” faces charges for seven patient deaths at a private hospital. Exposed as Narendra Vikramaditya… pic.twitter.com/WHPYSZxaHU
— UnreadWhy (@TheUnreadWhy) April 7, 2025
32 साल तक विधायक रहे शुक्ल
शुक्ल करीब 32 साल तक विधायक रहे, जो विधानसभा अध्यक्ष भी बने। 20 अगस्त 2006 को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। ऑपरेशन के दौरान उनकी मौत हो गई थी। शुक्ल के बेटे प्रोफेसर प्रदीप शुक्ल ने बताया कि नरेंद्र 2 से 3 महीने के लिए अपोलो अस्पताल आया था। इस दौरान 8 से 10 मरीजों की मौत हुई थी। विवाद जब बढ़ा तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के तत्कालीन अध्यक्ष और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. YS दुबे ने इसकी जांच करवाई थी। जांच में पाया गया कि नरेंद्र के दस्तावेज फर्जी थे। उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी, वह कार्डियोलॉजिस्ट नहीं था।
टीम ने दमोह पहुंचकर की जांच
नरेंद्र का असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव निकला, जबकि दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा था। उसने 2006 में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की बताई गई है। उसका रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है। इसके बाद जो 3 एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला है। ये डिग्रियां कोलकाता, दार्जिलिंग व यूके की बताई गई हैं। इधर, सोमवार को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम ने दमोह पहुंचकर मामले की जांच की है। सूत्रों के मुताबिक जांच के बाद ही मामले की रिपोर्ट सौंपी जाएगी।
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