Haryana Assembly Elections: हरियाणा में विधानसभा चुनाव का ऐलान किया जा चुका है। 1 अक्टूबर को वोटिंग के बाद 4 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। लेकिन हरियाणा के इतिहास में एक ऐसा चुनाव भी हुआ था, जिसका आज तक परिणाम घोषित नहीं किया गया है। रोहतक की विधानसभा सीट महम में 1990 के चुनाव को देश का सबसे खूनी उपचुनाव कहा जाता है। इस कांड ने महम चौबीसी को पूरे देश में चर्चित कर दिया था। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला का भी इससे गहरा नाता रहा है।
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इस कांड में 10 लोगों की जान गई थी। दरअसल ताऊ देवीलाल ने डिप्टी पीएम बनने के बाद 1989 में इस सीट को खाली कर दिया था। वे सांसद का चुनाव जीत चुके थे। उनकी जगह ओपी चौटाला सीएम बने। जिसके बाद उनको नियमों के तहत 6 महीने में विधायक बनना था। महम सीट खाली होने के बाद उन्होंने यहीं से चुनाव लड़ने का ऐलान किया।
आनंद सिंह दांगी ने लड़ा था चुनाव
चौटाला ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया। जिसके बाद 27 फरवरी 1990 को चुनाव हुआ। इसी सीट से ताऊ के करीबी और तत्कालीन हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन आनंद सिंह दांगी ने भी नामांकन दाखिल कर दिया। नामांकन से पहले उन्होंने सभी पद छोड़ दिए थे। इसके बाद चुनाव आयोग को धांधली की शिकायतें वोटिंग के दौरान मिलीं। जिसके बाद आयोग ने आठ मतदान केंद्रों चांदी, बैंसी, भैणी, महम, खरैंटी और महाराजपुर में दोबारा वोटिंग का फैसला लिया। 28 फरवरी को वोटिंग शुरू हुई। बताया जाता है कि सुबह 8 बजे बैंसी के सरकारी स्कूल में भूपेंद्र सिंह दरियापुर, शमशेर सिंह अहलावत, अभय चौटाला और अन्य लोग वाहनों में पहुंचे। जिनका आनंद सिंह दांगी के भाई धर्मपाल के साथ झगड़ा हो गया था।
फायरिंग में धर्मपाल के साथ दलबीर नामक शख्स गिर गया था। इसके बाद एक के बाद एक फायरिंग में 10 लोग मारे गए थे। भिवानी जिले के खरक जाटान के रहने वाले रामफल ने उस समय याचिका दाखिल की थी। जिसमें बताया था कि 27 फरवरी के दिन शाम को 6 बजे वे परिवार के साथ थे। उनका बड़ा भाई हरी सिंह भी मौजूद था। तभी पंचायती कैंडिडेट आनंद सिंह दांगी ने हरी सिंह से अगले दिन पुनर्मतदान में प्रचार की अपील की थी। अगले दिन हरी सिंह सुबह 8 बजे स्कूल के गेट पर थे। तभी उपरोक्त तीनों लोग वाहनों में आए, जिनको धर्मपाल ने बूथ के अंदर जाने से रोका।