Khera Flogging Case Gujarat Police Apologized Gujarat High Court: गुजरात उच्च न्यायालय में एक अवमानना मामले में 4 पुलिस अधिकारियों ने कहा कि लोगों के ‘तशरीफ’ पर डंडे मारने को यातना नहीं मानना चाहिए। अधिकारियों ने यह आवेदन खेड़ा में मुस्लिम युवकों को सार्वजनिक रूप से पीटने के मामले दाखिल किया था।
पुलिसकर्मियों ने दाखिल किया जवाब
अधिकारियों की ओर पेश हुए वकील प्रकाश जानी ने न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया और गीता गोपी की पीठ से कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों पर आरोप है उन्होंने 10-15 साल देश को समर्पित किए हैं। इस प्रकार के मामले में उन्हें दोषी करार देने से उनके पेशेवर रिकाॅर्ड प्रभावित होंगे। इसके साथ ही आवेदन में कहा गया कि अदालत पीड़ितों को मुआवजा देने पर विचार करें।
पुलिसकर्मियों ने मांगी माफी
बता दें कि खेड़ा मारपीट मामले में अदालत की अवमानना के आरोपों का सामना कर रहे पुलिस इंस्पेक्टर एवी परमार ने 11 अक्टूबर को गुजरात उच्च न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर बताया कि पीड़ितों के तशरीफ पर डंडे मारना अस्वीकार्य है लेकिन यह यातना नहीं है इसलिए यह अवमानना का आरोप नहीं हो सकता है। मामले में इंस्पेक्टर एवी परमार, एसआई डीबी कुमावत, हेड काॅन्स्टेबल केएल डाभी और काॅन्स्टेबल राजू डाभी पर 3 मुस्लिम युवकों के तशरीफ पर लाठियां बरसाने का आरोप हैं। चारों पुलिस कर्मियों ने अपने इस कार्य के लिए बिना शर्त अदालत से माफी मांगी।
यह है मामला
गौरतलब है कि 4 अक्टूबर 2022 को खेड़ा जिले के उधेला गांव में नवरात्रि में गरबा महोत्सव में पथराव के आरोप में पुलिस ने तीन मुस्लिम युवकों को गिरफ्तार किया था इसके बाद उन्हें सार्वजनिक रूप से खंभे से बांधकर डंडे बरसाए थे। पुलिसकर्मियों की इस दलील के बाद न्यायमूति सुपेहिया और गीता गोपी की पीठ ने याचिकाकर्ता मुस्लिम युवकों से जवाब मांगा है।