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गुजरात सरकार ने किसानों के लिए जारी की नई गाइडलाइंस, फसल को कीड़ों से बचाना है तो करें ये काम

Gujarat Government Made A Big Announcement For Farmers: राज्य में चने की खड़ी फसल में ग्रीन कैटरपिलर की बीमारी के कंट्रोल के लिए किसानों के लिए दिशा-निर्देश कृषि निदेशक कार्यालय द्वारा घोषित कर दिए गए हैं।

Edited By : Deepti Sharma | Updated: Dec 19, 2024 18:35
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Gujarat Government Made A Big Announcement For Farmers
Gujarat Government Made A Big Announcement For Farmers

Gujarat Government Made A Big Announcement For Farmers: गुजरात सरकार किसानों के लिए लगातार प्रयास कर रही है। कीट किसानों के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। एक बार जब कीट या कैटरपिलर फसल में घर बना लेते हैं, तो उन्हें हटाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सरकार ने चने की खेती करने वाले गुजरात के किसानों के लिए खास गाइडलाइंस का ऐलान किया है। किसान ऐसा करेंगे तो फसलों को जीवनदान मिलेगा।

हरी सुंडी के भौतिक नियंत्रण के लिए फसल उगने के 05 दिन बाद पौधे से 01 फीट की ऊंचाई पर प्रति हेक्टेयर 20 क्रोमन ट्रैप लगाना तथा हर 21 दिन पर फेरोमोन ट्रैप का चारा बदलना जरूरी है। खेत में प्रति वेघा एक प्रकाश पिंजरा स्थापित करें या एक बिजली के गोले की व्यवस्था करें जहां प्रकाश की व्यवस्था की जा सके और उसके नीचे पानी से भरी एक ट्रे रखें और उसमें किसी भी कीटनाशक की 01 से 02 बूंदें डालें, ताकि पिस्सू आकर्षित हो जाएं। रात के समय प्रकाश पानी में गिरने से खत्म हो सकता है।

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पक्षियों के लिए कैटरपिलर ढूंढना आसान बनाने के लिए खड़ी फसलों में अंग्रेजी टी-आकार (टी) बर्ड पर्चिंग सपोर्ट को पौधों से 03 फीट की ऊंचाई पर 40-50 प्रति हेक्टेयर की संख्या में रखा जाना चाहिए। इसके अलावा 500 ग्राम चूने के पाउडर को 10 लीटर पानी में मिलाकर 2 से 3 बार छिड़काव करने से हरी इल्ली पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण किया जा सकता है।

तैयार नीम आधारित कीटनाशक की 10 मिलीलीटर (5 ईसी), 500 ग्राम नेफ्टिया की पत्तियां, 500 ग्राम अर्दुसी पत्ती के अर्क को 10 लीटर पानी में मिलाकर 2 से 3 बार छिड़काव करने से इस रोग को प्रभावी ढंग से कंट्रोल किया जा सकता है।

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कैसे करें कंट्रोल

हरी सुंडी के जैविक नियंत्रण के लिए बैसिलस थुरिंजिएन्सिस 5 डब्लूपी 20 ग्राम या बेवेरिया बेसिया 1 डब्लूपी 40 ग्राम को पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए या 250 एनपीवी घोल (NPV) को 500 लीटर पानी में मिलाकर एक हेक्टेयर में छिड़काव करना चाहिए।

इसके अलावा जरूरत अनुसार हरी इल्लियों के केमिकल कंट्रोल के लिए 50% फूल आने की अवस्था पर तथा उसके बाद 15 दिन पर किवानालफॉस की 20 मिली, किवानालफॉस की 0.0 मिली फ्लुबेन्डियामाइड, 1.5 मिली क्लोरेंट्रानिलिप्रोल, 0 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट दवा 10 एल पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

जबकि पानी की कमी वाले क्षेत्र में चने की फसल में 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 1.5% भूकी किवानालफॉस का छिड़काव करने से सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। दवा का उपयोग करते समय, उस फसल के लिए अनुशंसित दवा पर दिए गए लेबल, दी गई खुराक और जिस बीमारी/कीट का पालन करने के लिए निर्धारित किया गया है उसका पालन करें।

किसानों को इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए ग्राम सेवक, विस्तार अधिकारी, कृषि अधिकारी, तालुक प्रवर्तन अधिकारी, सहायक कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, उप कृषि निदेशक या उप कृषि निदेशक के कार्यालय से संपर्क करना चाहिए।

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Edited By

Deepti Sharma

First published on: Dec 19, 2024 06:35 PM

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