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कोलकाता में बना ये पूजा पंडाल आपको दूरदर्शन के दिनों की दिला देगा याद, तस्वीरें हुईं वायरल

कोलकाता: इस बार दुर्गा पूजा उत्सव कोलकाता में आनंद के साथ मनाया जा रहा है। दो साल के कोरोना महामारी के बाद इस साल पूरे शहर में दुर्गा पूजा का धूम है। कोलकाता इस साल सब कुछ भव्य देख रहा है। मेटावर्स से वेटिकन सिटी तक, आयोजकों ने इस बार के दूर्गा पूजा को यादगार […]

कोलकाता: इस बार दुर्गा पूजा उत्सव कोलकाता में आनंद के साथ मनाया जा रहा है। दो साल के कोरोना महामारी के बाद इस साल पूरे शहर में दुर्गा पूजा का धूम है। कोलकाता इस साल सब कुछ भव्य देख रहा है। मेटावर्स से वेटिकन सिटी तक, आयोजकों ने इस बार के दूर्गा पूजा को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसी तरह के प्रयास में इस वर्ष संतोषपुर झील पल्ली दुर्गा पूजा पंडाल को दूरदर्शन और प्रसार भारती की स्थापना से सजाया गया है। जो भारतीयों के लिए भारतीय टेलीविजन के पुराने दिनों की एक मीठी याद बन गई है। पंडाल को कलाकार खूबसूरती से डिजाइन किया है। प्रवेश द्वार देवी दुर्गा की आदमकद हाथ से चित्रित छवि से घिरा हुआ है। इस साल दुर्गा पंडालों में रचनात्मकता और नवीनता का कोई अंत नहीं है। इसका सबसे अच्छा हिस्सा यह है कि आपके मोबाइल फोन आप इसके खूबसूरती को देख सकते हैं। शहर के प्रमुख पंडालों का वर्चुअल भ्रमण कर सकते हैं। दूरदर्शन ने दशकों से भारतीय दर्शकों के दिमाग पर अपना दबदबा कायम रखा है और ब्रॉडकास्टर के सुनहरे युग को 1980 और 1990 के दशक में माना जाता है जब तक कि 1991 में उदारीकरण ने अन्य निजी चैनलों के लिए दरवाजे नहीं खोले। 15 सितंबर, 1959 को दूरदर्शन को पश्चिम जर्मनी के उपकरणों का उपयोग करके दिल्ली में लॉन्च किया गया था। 1965 में इसका नई दिल्ली और उसके आसपास के घरों में प्रसारण शुरू हुआ। 1972 तक मुंबई और अमृतसर की सेवाओं तक पहुंच थी और तीन साल बाद सात अतिरिक्त शहर जोड़े दिए गए। अप्रैल 1976 में दूरदर्शन, तब तक ऑल इंडिया रेडियो (AIR) का एक हिस्सा, सूचना और प्रसारण मंत्रालय का एक अलग विभाग बन गया। वर्तमान में आकाशवाणी के साथ प्रसार भारती के प्रभागों में से एक है। 1987 में रामायण का प्रसारण और उसके बाद महाभारत का प्रसारण दूरदर्शन के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण क्षण था। उदारीकरण के बाद भारत घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों तरह के चैनलों का केंद्र बन गया। लेकिन दूरदर्शन की पुरानी यादें समय-समय पर हमें उन सुनहरे पलों में ले जाती हैं।


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