Supreme Court Green Crackers 2025: हर साल दिवाली की चमक-दमक के साथ दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुद्दा सुर्खियों में रहता है. साल दर साल दिवाली के अगले दिन एनसीआर की हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक मापी जाती है. इस साल एक बार फिर ये मुद्दा चर्चा में है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की बिक्री और चलाने की अनुमति दी है.
लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या ग्रीन पटाखे सच में ही प्रदूषण कम करते हैं, क्या इन पटाखों से हवा में जहर घोलने से रोका जा सकता है? या फिर त्योहार की खुशी के बीच सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला परंपरा और पर्यावरण के बीच केवल संतुलन बनाने की एक कोशिश भर है.
पूरी तरह पॉल्यूशन फ्री नहीं करते Green Crackers
जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में 2024 में पटाखों पर पूर्ण बैन लगाया था. इसकी वजह यहां दिवाली के आसपास प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंचने का तर्क दिया गया था. इसके बाद 2025 में पटाखा उद्योगों की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसमें रियायत दी है. विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन पटाखे पारंपरिक वाले पटाखों से कम नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं.
कैसे कम प्रदूषण देते हैं Green Crackers
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के नेहरू एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ने इन्हें विकसित किया है. इनमें शेल का आकार छोटा रखा जाता है और इनमें कच्चे माल की मात्रा घटाई जाती है और धूल को दबाने वाले तत्व डाले जाते हैं. दिल्ली में 18 से 21 अक्टूबर के बीच ग्रीन पटाखों को बेचने और चलाने की अनुमति है. ग्रीन पटाखे सुबह 6 से 7 बजे तक और रात में 8 से 10 बजे तक फोड़ सकेंगे.
Green Crackers की कैसे करें पहचान
जानकारी के अनुसार ये पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30 से 50 फीसदी कम पार्टिकुलेट मैटर (PM) छोड़ते हैं. साथ ही इनसे नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे जहरीले गैसों में भी 35-40 फीसदी की कमी आती है. नियमों के अनुसार इनके पैकेट पर सीएसआईआर-एनईईआरआई का लोगो, क्यूआर कोड या एसडब्ल्यूएएस, सफल, स्टार जैसे कोड्स होने अनिवार्य हैं. बता दें दिल्ली में ग्रीन पटाखे सदर बाजार, जामा मस्जिद और चांदनी चौक पर लाइसेंस धारक दुकानदारों पर मिलेंगे.
ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़े तो ये होगा फायदा
आंकड़ों पर गौर करें तो 2024 की दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 339 तक पहुंच गया जो ‘गंभीर’ स्तर का था. कुछ इलाकों जैसे पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में यह 806 तक रहा. इसके अलावा हौज खास में AQI 481 रिकॉर्ड किया गया. बता दें 2024 दिवाली पर पीएम 2.5 का स्तर रात में 603 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंचा गया था जिससे लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत महसूस की. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़े तो अगली दिवाली में यह आंकड़ा 20-30 फीसदी नीचे आ सकता है.
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