---विज्ञापन---

दिल्ली

Green Crackers: क्या वाकई प्रदूषण रोक पाते हैं? SC का फैसला त्योहार की खुशी या पर्यावरण की रक्षा

Supreme Court green crackers 2025: आंकड़ों पर गौर करें तो 2024 की दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 339 तक पहुंच गया जो 'गंभीर' स्तर का था. कुछ इलाकों जैसे पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में यह 806 तक रहा. इसके अलावा हौज खास में AQI 481 रिकॉर्ड किया गया. बता दें 2024 दिवाली पर पीएम 2.5 का स्तर रात में 603 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंचा गया था जिससे लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत महसूस की.

Author Written By: Amit Kasana Author Published By : Amit Kasana Updated: Oct 15, 2025 12:24
Green crackers, Diwali pollution, Supreme Court verdict, AQI Delhi 2024, CSIR NEERI, particulate matter reduction, NOx SO2 emissions, festive environmental balance, NCR firecracker ban,Do green crackers reduce air pollution, Supreme Court green crackers 2025, Diwali AQI spike 2024, eco-friendly firecrackers India
ग्रीन पटाखे

Supreme Court Green Crackers 2025: हर साल दिवाली की चमक-दमक के साथ दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का मुद्दा सुर्खियों में रहता है. साल दर साल दिवाली के अगले दिन एनसीआर की हवा में प्रदूषण की मात्रा अधिक मापी जाती है. इस साल एक बार फिर ये मुद्दा चर्चा में है, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ ग्रीन पटाखों की बिक्री और चलाने की अनुमति दी है.

लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या ग्रीन पटाखे सच में ही प्रदूषण कम करते हैं, क्या इन पटाखों से हवा में जहर घोलने से रोका जा सकता है? या फिर त्योहार की खुशी के बीच सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला परंपरा और पर्यावरण के बीच केवल संतुलन बनाने की एक कोशिश भर है.

---विज्ञापन---

पूरी तरह पॉल्यूशन फ्री नहीं करते Green Crackers

जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में 2024 में पटाखों पर पूर्ण बैन लगाया था. इसकी वजह यहां दिवाली के आसपास प्रदूषण का स्तर खतरनाक लेवल पर पहुंचने का तर्क दिया गया था. इसके बाद 2025 में पटाखा उद्योगों की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने इसमें रियायत दी है. विशेषज्ञों के मुताबिक ग्रीन पटाखे पारंपरिक वाले पटाखों से कम नुकसान पहुंचाते हैं लेकिन ये पूरी तरह प्रदूषण मुक्त नहीं होते हैं.

---विज्ञापन---

कैसे कम प्रदूषण देते हैं Green Crackers

काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) के नेहरू एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ने इन्हें विकसित किया है. इनमें शेल का आकार छोटा रखा जाता है और इनमें कच्चे माल की मात्रा घटाई जाती है और धूल को दबाने वाले तत्व डाले जाते हैं. दिल्ली में 18 से 21 अक्टूबर के बीच ग्रीन पटाखों को बेचने और चलाने की अनुमति है. ग्रीन पटाखे सुबह 6 से 7 बजे तक और रात में 8 से 10 बजे तक फोड़ सकेंगे.

Green Crackers की कैसे करें पहचान

जानकारी के अनुसार ये पटाखे पारंपरिक पटाखों की तुलना में 30 से 50 फीसदी कम पार्टिकुलेट मैटर (PM) छोड़ते हैं. साथ ही इनसे नाइट्रस ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे जहरीले गैसों में भी 35-40 फीसदी की कमी आती है. नियमों के अनुसार इनके पैकेट पर सीएसआईआर-एनईईआरआई का लोगो, क्यूआर कोड या एसडब्ल्यूएएस, सफल, स्टार जैसे कोड्स होने अनिवार्य हैं. बता दें दिल्ली में ग्रीन पटाखे सदर बाजार, जामा मस्जिद और चांदनी चौक पर लाइसेंस धारक दुकानदारों पर मिलेंगे.

ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़े तो ये होगा फायदा

आंकड़ों पर गौर करें तो 2024 की दिवाली के अगले दिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 339 तक पहुंच गया जो ‘गंभीर’ स्तर का था. कुछ इलाकों जैसे पूर्वी दिल्ली के कड़कड़डूमा में यह 806 तक रहा. इसके अलावा हौज खास में AQI 481 रिकॉर्ड किया गया. बता दें 2024 दिवाली पर पीएम 2.5 का स्तर रात में 603 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंचा गया था जिससे लोगों को सांस लेने तक में दिक्कत महसूस की. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल बढ़े तो अगली दिवाली में यह आंकड़ा 20-30 फीसदी नीचे आ सकता है.

ये भी पढ़ें: गुड न्यूज! दिल्ली-NCR में ग्रीन पटाखों पर आया ‘सुप्रीम’ फैसला, 4 दिन जलाने की मिली अनुमति

First published on: Oct 15, 2025 12:24 PM

संबंधित खबरें

Leave a Reply

You must be logged in to post a comment.