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कुत्ते के विवाद में हाई कोर्ट का अहम फैसला, जानवर को लेकर दिल्ली में भीड़े थे पड़ोसी

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने दो पड़ोसियों के झगड़े का फैसला सुनाते हुए दोनों को पिज्जा और छाछ बांटने की सजा दी है. इस अनोखी शर्त से झगड़े को सुलझाया गया, जो पालतू जानवर को लेकर हुआ था.

बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जजमेंट सुनाया.

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. दरअसल, जस्टिस अरुण मोंगा ने कुत्ते को लेकर दो पड़ोसियों में हुए झगड़े को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों को मिलकर आश्रम में पिज्जा और छाछ बांटने का आदेश दिया है. ऐसा करने के पीछे बेंच की मंशा यह थी कि मामला शांति और सौहार्द के साथ खत्म हो जाए.

आपराधिक विवाद नहीं- कोर्ट

जस्टिस मोंगा का इस मामले पर कहना था कि यह विवाद आपराधिक नहीं है. इस मामले को तूल देना और सुनवाई करते रहने से न्यायप्रणाली का दुरुपयोग होगा और समय बर्बाद होगा. इसलिए, कोर्ट ने 19 सितंबर को इस मामले को खत्म करने के लिए आदेश दिया और इसकी आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का फैसला लिया.

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पिज्जा-छाछ बांटें दोनों पक्ष

कोर्ट ने दोनों पक्षों को पिज्जा और छाछ बांटने का आदेश दिया है. इस मामले में बेंच का कहना था कि पड़ोसियों के बीच प्रेम और सोहार्द बना रहना जरूरी होता है. ऐसे फैसलों से लोगों को सीख मिलेगी और साथ मिलकर काम करने से दोनों पक्षों के बीच मेल मिलाप बढ़ेगा और उनकी आपसी स्थिति में भी सुधार होगा.

आदेश के पालन के बाद कोर्ट को देना होगा सबूत

सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों में से एक पड़ोसी पिज्जा बेचता है. इसलिए, अदालत ने दोनों को मिलकर पिज्जा और छाछ बांटने का आदेश दिया है. इन्हें दिलशाद गार्डन में मौजूद GTB अस्पताल के पास संस्कार आश्रम में सभी को वेजिटेबल पिज्जा और टेट्रा पैक छाछ देने होंगे.

हर बच्चे-हर कर्मचारी को पिज्जा

कोर्ट ने साफ कहा है कि आश्रम में मौजूद हर बच्चे, हर आश्रमवासी और कर्मचारियों को पिज्जा और छाछ देना होगा. शिकायतकर्ता द्वारा पिज्जा बनाया जाएगा लेकिन इस काम को भी पूरा करने के लिए दोनों पक्ष एक-दूसरे का सहयोग करेंगे. इस काम को सही आदेशानुसार किया जा रहा है या नहीं इसके लिए जांच टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई है. टीम आगे कोर्ट को भी इसके साक्ष्य देगी.

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