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‘अरावली की नई परिभाषा गढ़ी जा रही…’, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस के आरोपों को किया खारिज

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस द्वारा लगाए उन आरोपों को खारिज कर दिया कि अरावली की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है. उन्होंने कहा इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि अरावली के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को संरक्षित नहीं किया जाएगा. भूपेंद्र यादव का मानना है की मुख्य विपक्षी पार्टी इसलिए ‘घबराई हुई’ है क्योंकि सरकार ने अरावली में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. पढ़ें दिल्ली से रमन कुमार की रिपोर्ट.

रमन कुमार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस द्वारा लगाए उन आरोपों को खारिज कर दिया कि अरावली की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है. उन्होंने कहा इन आरोपों में कोई दम नहीं है कि अरावली के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को संरक्षित नहीं किया जाएगा. भूपेंद्र यादव का मानना है की मुख्य विपक्षी पार्टी इसलिए ‘घबराई हुई’ है क्योंकि सरकार ने अरावली में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है.

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दरअसल कांग्रेस ने गुरुवार को दावा किया कि पर्वतमाला की संशोधित परिभाषा के तहत अरावली पर्वतमाला के 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से को संरक्षित नहीं किया जाएगा और इससे खनन और अन्य गतिविधियों के लिए रास्ता खुल जाएगा.

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भूपेंद्र यादव ने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की एक पोस्ट का जवाब देते हुए X पर लिखा, 'एफएसआई द्वारा किए गए किसी भी अध्ययन में आपकी कही गई बातों का कोई प्रमाण नहीं है. लेकिन मुझे पता है कि एफएसआई द्वारा साफ़ करने के बाद भी आप ये झूठ क्यों फैला रहे हैं. शायद आपकी ‘पर्यावरणविद् वाली छवि’ तब विश्वसनीय साबित होती जब आप अपने पार्टी सहयोगी अशोक गहलोत से पूछते कि अरावली पर्वतमाला को किसने नष्ट किया.'

पुनर्निर्माण के लिए हम काम करते रहेंगे

भूपेंद्र यादव ने निशाना साधते हुए लिखा, 'आप और आपके गुट के लोग इसलिए घबराए हुए हैं क्योंकि हमने गुजरात से दिल्ली तक अरावली पर्वतमाला में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है. हम आपको, माननीय गहलोत को या आपकी पार्टी के किसी भी सदस्य को पवित्र अरावली पर्वतमाला को फिर कभी लूटने नहीं देंगे. आपकी पार्टी ने जो कुछ भी नष्ट किया है, उसके पुनर्निर्माण के लिए हम काम करते रहेंगे.'

जयराम रमेश का आरोप

जयराम रमेश ने आरोप लगाते हुए कहा था कि 'मोदी सरकार द्वारा अरावली की जो नई परिभाषा दी गई है, वह तमाम विशेषज्ञों की राय के खिलाफ है, साथ ही खतरनाक और विनाशकारी भी है.'

उन्होंने कहा था, 'भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) के प्रामाणिक आंकड़ों के अनुसार, 20 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली अरावली पहाड़ियों में से केवल 8.7 प्रतिशत ही 100 मीटर से अधिक ऊंची हैं.'

जयराम रमेश ने लिखा कि यदि एफएसआई द्वारा चिह्नित सभी अरावली पहाड़ियों को देखा जाए, तो उनमें से एक प्रतिशत भी 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली नहीं है. एफएसआई का साफ़ मानना है और वह पूरी तरह उचित भी है-कि ऊंचाई के आधार पर सीमाएं तय करना संदिग्ध है, और ऊंचाई की परवाह किए बिना अरावली की पूरी पर्वतमाला को संरक्षण मिलना चाहिए.

कांग्रेस अरावली मामले पर आक्रामक

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने अरावली पर्वतमाला को लेकर बड़ा फैसला लिया है. इसको लेकर कांग्रेस ने बड़े आंदोलन का ऐलान किया है. मध्य प्रदेश में नर्मदा बचाओ आंदोलन की तर्ज पर राजस्थान में पार्टी द्वारा अरावली बचाओ अभियान चलाया जाएगा.


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