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‘280 वैकेंसी के बावजूद नहीं बन पाए प्रोफेसर’, कांग्रेस ने लगाई आरोपों की झड़ी, क्या फर्जी है बिहार के मंत्री की पीएचडी डिग्री?

बिहार सरकार में मंत्री डॉ. अशोक चौधरी सवालों के घेरे में हैं और उसकी वजह है उनकी पीएचडी की डिग्री. कांग्रेस ने अशोक चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी डिग्री फर्जी हो सकती है. क्या है पूरा मामला, पढ़िए सौरभ कुमार की रिपोर्ट में.

Credit: Social Media

बिहार की राजनीति में ठंड के मौसम के बीच डिग्री का मुद्दा सियासी पारा चढ़ा रहा है. इस बार विपक्ष के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी हैं. कांग्रेस ने उनकी पीएचडी (Ph.D) डिग्री की सत्यता पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे फर्जीवाड़ा बताया है.

कांग्रेस का सीधा हमला

कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा कर मंत्री अशोक चौधरी पर सीधा आरोप लगाया. तिवारी का दावा है कि पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान अशोक चौधरी की पीएचडी डिग्री को संदिग्ध मानते हुए उसकी जांच की मांग की गई थी. इसी वजह से उनका नाम फाइनल लिस्ट से बाहर कर दिया गया.

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'280 पद, फिर भी चयन क्यों नहीं?'

कांग्रेस के मुताबिक, विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 280 पद थे. चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 274 उम्मीदवारों की सूची जारी की गई यानी 6 पद खाली रह गए. इसके बावजूद, पॉलिटिकल साइंस में जारी 18 कैंडिडेट्स की फाइनल लिस्ट में मंत्री अशोक चौधरी का नाम शामिल नहीं था. असित नाथ तिवारी ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब सीटें खाली थीं तो मंत्री जी का चयन क्यों नहीं हुआ? क्या उनकी डिग्री को संदिग्ध मानकर जांच के लिए भेजा गया? कांग्रेस प्रवक्ता ने ये मांग की है कि अशोक चौधरी को ये सार्वजनिक तौर पर साफ करना चाहिए कि उनकी डिग्री फर्जी नहीं है

बिहार सरकार भी हुई सतर्क

मामला सामने आने के बाद सरकार भी असहज नजर आ रही है. सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्री ने भी स्वीकार किया है कि डिग्री से जुड़े कुछ बिंदुओं में गड़बड़ी पाई गई है. इसी को लेकर मंत्री अशोक चौधरी से सफाई देने को कहा गया है. हालांकि अभी तक सरकार या खुद अशोक चौधरी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन ये साफ है कि मंत्री की पीएचडी फिलहाल संदेह के घेरे में है. आने वाले दिनों में अगर इस मामले की औपचारिक जांच आगे बढ़ती है, तो ये न केवल सरकार बल्कि सत्तारूढ़ जेडीयू के लिए भी राजनीतिक रूप से असहज स्थिति पैदा कर सकता है. विपक्ष इसे नैतिकता और योग्यता से जोड़कर बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है.

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