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बिहार में मदरसों पर राष्ट्रीय बाल आयोग सख्त, पूछा- कितने हिंदू बच्चे…

एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने कहा कि मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की बुनियादी शिक्षा के लिए जगह नहीं है, बच्चों को नियमित स्कूलों में पढ़ना चाहिए और हिंदू बच्चों को मदरसों में बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

Edited By : Amit Kasana | Updated: Aug 18, 2024 20:05
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Priyank Kanungo

Priyank Kanungo: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बिहार के मदरसों और उनके काम करने के तरीके पर कई सवाल उठाए हैं। एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने रविवार को बिहार के सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों में ‘कट्टरपंथी’ पाठ्यक्रम और ऐसे स्कूलों में हिंदू बच्चों के नामांकन पर गंभीर चिंता जताई है। कानूनगो ने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट शेयर करते हुए संयुक्त राष्ट्र से बारे में जांच करने की अपील की है।

मदरसों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम पर उठाए सवाल 

एनसीपीसीआर अध्यक्ष का दावा है कि बिहार के इन मदरसों में कथित तौर पर हिंदू बच्चे भी पढ़ाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि बिहार सरकार ने अभी तक इस बारे में आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए हैं। उन्होंने मदरसों में बच्चों को पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) की भागीदारी पर भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ और मदरसा बोर्ड दोनों द्वारा तुष्टीकरण की पराकाष्ठा कर रहे हैं।

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किताबों में किसे बताया जा रहा ‘काफिर’?

एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने बिहार मदरसा बोर्ड को भंग करने और इस पूरे मामले की जांच करने की अपील की है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इन संस्थानों में तालीमुल इस्लाम जैसी पाठ्यपुस्तकों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो गैर-इस्लामी व्यक्तियों को ‘काफिर’ करार देती हैं। एनसीपीसीआर अध्यक्ष ने चिंता जताते हुए कहा कि बाल संरक्षण की आड़ में सरकारों से दान और अनुदान के रूप में प्राप्त धन का उपयोग करके एक कट्टरपंथी पाठ्यक्रम तैयार करना यूनिसेफ का काम नहीं है। उन्होंने कहा कि मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की बुनियादी शिक्षा के लिए जगह नहीं है, बच्चों को नियमित स्कूलों में पढ़ना चाहिए और हिंदू बच्चों को मदरसों में बिल्कुल नहीं होना चाहिए।

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Amit Kasana

First published on: Aug 18, 2024 08:05 PM

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