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Lalu Yadav Birthday: कुएं में फेंक दिया हींग वाले का झोला, JP ने 200 रुपये दिये तो खूब रोए, पढ़ें अनछुए किस्से

Lalu Prasad Yadav Birthday Special: बिहार के पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री लालू यादव आज 77वां जन्म दिन मना रहे हैं। जेपी के आंदोलन से लेकर सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचे लालू यादव का जीवन किस्सों से भरा पड़ा है। ऐसे में न्यूज 24 उनके जन्म दिन पर आपके लिए लाया है उनके जीवन से जुड़े अनछुए किस्से।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jun 11, 2024 14:49
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लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन आज

Lalu Prasad Yadav Birthday Special: बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव आज अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। इस अवसर पर आरजेडी कार्यकर्ताओं ने पूरे बिहार में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है। इससे पहले बीती रात लालू ने अपने परिवार के साथ जन्मदिन का केक काटा। इस दौरान पत्नी राबड़ी देवी, तेजप्रताप यादव, रोहिणी आचार्य, तेजस्वी यादव समेत पार्टी के आला नेता मौजूद रहे। ऐसे में आज हम आपको बताते हैं लालू यादव के जीवन से जुड़े वे किस्से जो आम लोगों को कम ही पता है।

Pic Credit- Google

लालू यादव का जन्म 11 जून 1948 को हुआ था। उन्होंने पटना विवि में एक छात्र नेता के तौर पर राजनीति में प्रवेश किया। 1973 में पटना विवि के छात्रसंघ अध्यक्ष बने। साल 1977 में वे मात्र 29 साल की आयु में जनता पार्टी के टिकट पर छपरा से सबसे कम उम्र के लोकसभा सांसद चुने गए। इसके बाद लालू यादव ने जनता पार्टी छोड़ दी और राजनारायण के नेतृत्व वाली जनता दल एस में शामिल हो गए। इसके बाद 1980 में छपरा से फिर लोकसभा चुनाव लड़े लेकिन उन्हें इस चुनाव में हार मिली। 1980 में उन्होंने पहली बार बिहार के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 1990 तक लालू यादव स्वयं को बिहार में यादव और निचली जातियों के नेता के तौर पर स्थापित कर चुके थे।

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ऐसे बने मुसलमानों के हिमायती

1989 में भागलपुर हिंसा के बाद लालू यादव मुसलमानों के सबसे बड़े हिमायती बनकर सामने आए। इस दौरान वे युवाओं के बीच भी काफी लोकप्रिय हो गए। इसके बाद 1990 में बिहार में जनता दल सत्ता में आया और वे बिहार के सीएम बने। 1993 में उन्होंने यूपी में मुलायम सिंह यादव की अंग्रेजी हटाओ नीति के विरूद्ध जाकर बिहार की सभी स्कूलों में अंग्रेजी भाषा को अनिवार्य कर दिया। 1997 में चारा घोटाला सामने आने के बाद जनता दल एस में बगावत हो गई।

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ऐसे बनाई खुद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल

इसके बाद लालू जनता दल एस से अलग हो गए और उन्होंने नए दल राष्ट्रीय जनता दल का गठन किया। लालू 1998 के चुनाव में जीते लेकिन 1999 के चुनाव में शरद यादव से हार गए। इसके बाद वे 2000 में राज्यसभा पहुंचे। इसके बाद बिहार में 2002 में राबड़ी देवी की अगुवाई वाली सरकार बनी। इसके बाद 2004 के लोकसभा चुनावों में लालू यादव की पार्टी ने बिहार में 21 सीटों पर जीत दर्ज की और यूपीए सरकार में रेल मंत्री बने। इसके बाद वे लगातार 2014 तक यूपीए सरकार में मंत्री रहे।

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आडवाणी की रथ यात्रा रुकवाकर करवाया गिरफ्तार

लालू यादव के जीवन पर कई किताबें लिखी गई है। उन्होंने स्वयं अपने जीवन पर एक आत्मकथा रायसीना टू गोपालगंज भी लिखी है। लालू ने सीएम रहते लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा को समस्तीपुर में रुकवाकर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया था। उनके इस फैसले की चर्चा आज भी होती है। साल 1990 से 1997 में उनके सीएम रहते बिहार में चारा घोटाला हुआ। जिसमें उनकी भी भूमिका सामने आई। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया और 25 जुलाई 1997 को पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बनाया। इस प्रकार राबड़ी बिहार की पहली महिला सीएम बनी।

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बपचन की स्कूल का नाम भी बदलवा दिया था

लालू यादव ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने जीवन से जुड़ा एक किस्सा बताते हुए कहा कि पटना में पढ़ाई के दौरान वे जेपी के संपर्क में आए। उन दिनों जेपी का छात्र आंदोलन चरम पर था। इस दौरान लालू को भी जेल जाना पड़ा। इस दौरान जेपी ने उनको कदमकुआं वाले घर पर बुलाया। उस दौरान उन्होंने बातों-बातों में मेरी आर्थिक स्थिति के बारे में पूछा। मैंने उन्हें आर्थिक स्थिति के बारे में बताया तो उन्होंने तुंरत अपनी दराज से 200 रूपये निकालकर मुझे दे दिए। इसके बाद मेरी आंखों से आंसू निकल आए।

सीएम बनने के बाद लालू यादव ने पटना के मिलर हाईस्कूल का नाम बदलवा दिया। इस फैसले के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा कि उन्हें स्कूल के मूल नाम से कोई समस्या नहीं थी लेकिन मैंने स्कूल का नाम बिहार के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देवीपद चौधरी के नाम पर कर दिया। सबसे दिलचस्प बात यह थी कि देवीपद चौधरी भी मिलर स्कूल में पढ़े थे।

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ऐसे पहुंचे थे पटना

गांव से प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद लालू यादव आगे की पढ़ाई के लिए पटना आ गए लेकिन पटना पहुंचने का किस्सा बड़ा ही दिलचस्प है। लालू के गांव में एक हींग बेचने वाला आया था। इस दौरान उन्होंने चुपके से हींग वाले का झोला पास ही स्थित कुएं में फेंक दिया। इसके बाद गांव में हंगामा हुआ तो परेशान मां ने बड़े भाई मुकुंद राय के साथ उन्हें भी पढ़ाई के लिए पटना भेज दिया।

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पटना में पढ़ाई के दौरान प्रिसिंपल नंदकिशोर सहाय से जुड़ा एक किस्सा भी बड़ा दिलचस्प है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में बताया कि जब मैंने अपने प्रिंसिपल से कहा कि मैं गरीब परिवार से हूं और मेरे पास किताबें और स्टेशनरी के पैसे नहीं हैं तो उन्होंने निर्धन कोष से मेरे लिए स्काॅलरशिप की व्यवस्था कर दी। इसके बाद मैं हर रोज 5 किमी. पैदल चलकर स्कूल जाता था।

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ऊपर दिए गए सभी किस्से उनकी आत्मकथा Gopalganj To Raisina से लिए गए हैं।

HISTORY

Written By

Rakesh Choudhary

First published on: Jun 11, 2024 02:39 PM

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