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बिहार की राजनीति में हो सकता है बड़ा उलटफेर, निशांत के एंट्री प्लान और BJP की रणनीति पर चर्चाएं तेज

Bihar politics bigg changes: बिहार की राजनीति एक बार फिर संभावनाओं और अटकलों के दौर में है. खरमास के बाद राज्य में किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की चर्चा चौक-चौराहों से लेकर सत्ता के गलियारों तक सुनाई दे रही है. सवाल यही है, क्या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी की एंट्री का प्लान तैयार हो चुका है? और क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बिहार में नेतृत्व परिवर्तन की दिशा में आगे बढ़ रही है? पढ़ें बिहार के सौरव कुमार की रिपोर्ट

Bihar politics bigg changes: बिहार की राजनीति में जल्द बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. परंपरागत रूप से खरमास के बाद राजनीतिक गतिविधियां तेज होती रही हैं. इस बार भी संकेत मिल रहे हैं कि एनडीए के भीतर रणनीतिक मंथन चल रहा है. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी चाहती है कि आने वाले तीन या छह महीनों में नीतीश कुमार स्वेच्छा से मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उत्तराधिकारी का नाम आगे करें, ताकि उन्हें बिहार की अगली कमान सौंपी जा सके. चर्चाओं के अनुसार, बीजेपी का फोकस दो बिंदुओं पर है, पहला तो भाजपा लंबे समय से सत्ता में रहे नीतीश कुमार के बाद पार्टी नया चेहरा आगे लाकर संगठनात्मक मजबूती और चुनावी तैयारी को धार देना चाहती है.

निशांत कुमार को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव

वहीं, कहा जा रहा है कि सत्ता संतुलन बनाए रखने के लिए नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी देने का प्रस्ताव विचाराधीन है, ताकि जदयू समर्थक आधार को साधा जा सके. हालांकि, इन चर्चाओं पर अभी तक किसी आधिकारिक बयान की मुहर नहीं लगी है.

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नीतीश कुमार की भूमिका और जदयू का रुख

नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के सबसे अनुभवी नेताओं में हैं. उनकी स्वीकार्यता केवल जदयू तक सीमित नहीं, बल्कि एनडीए के भीतर भी रही है. जदयू के भीतर फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कोई खुला असंतोष सामने नहीं आया है. पार्टी के वरिष्ठ नेता सार्वजनिक तौर पर सरकार की स्थिरता और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं.

क्या निशांत कुमार राजनीति में सक्रिय होंगे?

निशांत कुमार को लेकर अटकलें नई नहीं हैं, लेकिन अब तक उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए रखी है. यदि उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की बात सच होती है, तो यह जदयू के भविष्य और उत्तराधिकार की राजनीति में बड़ा संकेत माना जाएगा. सवाल यह भी है कि क्या निशांत कुमार स्वयं इस भूमिका के लिए तैयार होंगे?

विपक्ष की नजर और संभावित असर

विपक्षी दल खासकर राजद और कांग्रेस, इन चर्चाओं पर पैनी नजर रखे हुए हैं. यदि एनडीए में नेतृत्व परिवर्तन होता है, तो विपक्ष इसे सरकार की अस्थिरता और आंतरिक मतभेद के रूप में भुनाने की कोशिश करेगा. फिलहाल, बिहार की राजनीति में चल रही यह सरगर्मी सूत्रों और अटकलों पर आधारित है. नीतीश कुमार के एग्जिट प्लान, बीजेपी के मुख्यमंत्री चेहरे और निशांत कुमार की भूमिका, इन सब पर तस्वीर तभी साफ होगी जब एनडीए के शीर्ष नेतृत्व या मुख्यमंत्री की ओर से कोई आधिकारिक संकेत आएगा. तब तक, खरमास के बाद “कुछ बड़ा” होने की चर्चा बिहार की सियासत को गर्माए रखेगी.

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