Trendingipl auctionPollutionparliament

---विज्ञापन---

क्या है बक्सर पंचकोश मेले के लिट्टी-चोखे का इतिहास? प्रभु श्रीराम से है खास कनेक्शन

Bihar Buxar Panchkosh Fair Litti-chokha History: बिहार के बक्सर जिले में आज पंचकोश मेले का आखिरी दिन है। इस तिथि पर जिले के लाखों लोग एक ही तरह का भोजन करते हुए लिट्टी-चोखा खाते हैं।

बबलू उपाध्याय, बक्सर Bihar Buxar Panchkosh Fair Litti-chokha History: बिहार का लिट्टी चोखा आज इंटरनेशनल लेवल पर लोगों को खूब भा रहा है। दिल्ली में होने वाले लगभग सभी सरकारी मेलों में आपको कुछ दिखे न दिखे, लेकिन एक लिट्टी-चोखा स्टॉल जरूर दिखेगा। वैसे इन दिनों बिहार के बक्सर जिले में लिट्टी चोखा का एक अलग ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। यहां हर किसी के घर में एक ही खाना खाया जा रहा है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि बक्सर जिले में चल रहे इस लिट्टी चोखे ट्रेंड का एक परंपरा के साथ खास कनेक्शन है, जो प्रभु श्रीराम से जुड़ा है।

क्या है बक्सर का पंचकोश मेला

जानकारी के अनुसार, बिहार के बक्सर जिले में आज का एक दिन बहुत ही खास होता है। अगहन कृष्ण पक्ष की इस तिथि को पंचकोश के नाम से जाना जाता है। पंचकोश के दौरान 5 दिनों तक मेले का आयोजन किया जाता है और जिस दिन मेले का आखिरी दिन होता है, उस तिथि पर जिले के लाखों लोग एक ही तरह का भोजन करते हुए लिट्टी-चोखा खाते हैं। फिर चाहे वो गांव हो या शहर, हर तरफ से लोग लिट्टी-चोखा ही खाते हैं। वहीं, कई जानकारों का कहना है कि सिर्फ बक्सर ही नहीं, पड़ोस के आरा, सासाराम, कैमुर, बलिया और गाजीपुर जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में भी लोग सिर्फ लिट्टी-चोखा ही खाते हैं। इसे लेकर एक कहावत भी है, 'माई बिसरी, बाबू बिसरी, पंचकोशवा के लिट्टी-चोखा नाहीं बिसरी'। यह भी पढ़ें: Bihar News: वैशाली में सिनर्जी समिट, छात्र-छात्राओं में कम्युनिकेशन स्किल के लिए लैंग्वेज-लैब स्थापित

क्या है भगवान श्रीराम का कनेक्शन?

बक्सर की इस परंपरा का एक आध्यात्मिक महत्व भी है, जिसका खास कनेक्शन प्रभु श्रीराम से जुड़ा है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान राम और लक्ष्मण जब सिद्धाश्रम पहुंचे (वर्तमान बक्सर) तो, उन्होंने इस क्षेत्र में रहने वाले 5 ऋषियों के आश्रम में गए। यहां उन्होंने ऋषियों का आशीर्वाद लिया। जब भगवान राम और लक्ष्मण विश्वामित्र मुनि का आशीर्वाद लेने चरित्रवन आश्रम पहुंचे, तो वहां विश्वामित्र मुनि ने भगवान राम और लक्ष्मण को लिट्टी-चोखा खिलाया। इस वजह से इस तिथि को चरित्रवन का हर कोना-कोना लोगों से भर जाता है। गैर जिलों और ग्रामीण इलाकों से पहुंचने वाले लोग यहां लिट्टी बनाते और खाते हैं। यहां सुबह से लेकर शाम तक मेले का नजारा रहता है, जिसकी वजह से चरित्रवन में भारी भीड़ जुट जाती है। बस्तर जिले में 17 लाख से अधिक आबादी है। इसके अलावा, यहां काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारी, पुलिस के लोग, अतिथि और मजदूर भी रहते हैं। इसके साथ इनकी संख्या बीस लाख से भी अधिक हो जाती है। बस्तर के लोग जहां बसते हैं, वहां इस खास तिथि पर लिट्टी-चोखा बनाकर खाते हैं।


Topics:

---विज्ञापन---