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Independence Day पर तिरंगे में लिपटा आया शहीद जवान का शव, अंतिम यात्रा में रो पड़े सभी

औरंगाबाद: 15 अगस्त 2023 को जब पूरा देश स्वतंत्रा दिवस के मौके पर आजादी का जश्न मना रहा था, तब बिहार के औरंगाबाद में नम आंखों से एक शहीद जवान को अंतिम विदाई दी गई। औरंगाबाद के ओबरा में मंगलवार को भारत मां के सपूत शहीद संजय दुबे की अंतिम यात्रा निकली, जिसमें सैकड़ों लोग […]

BSF Jawan Martyr Sanjay Dubey funeral procession
औरंगाबाद: 15 अगस्त 2023 को जब पूरा देश स्वतंत्रा दिवस के मौके पर आजादी का जश्न मना रहा था, तब बिहार के औरंगाबाद में नम आंखों से एक शहीद जवान को अंतिम विदाई दी गई। औरंगाबाद के ओबरा में मंगलवार को भारत मां के सपूत शहीद संजय दुबे की अंतिम यात्रा निकली, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। दोमुहान स्थित श्मशान में बड़े बेटे स्वस्तिक ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। सड़क दुर्घटना में असामयिक मौत के शिकार हुए जवान संजय दुबे को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने सशत्र सलामी देकर विदा किया। शहीद के बड़े पुत्र स्वस्तिक(12) ने जैसे ही अपने पिता को मुखाग्नि दी। उसके बाद जैसे-जैसे अग्नि तेज होती गई, वैसे-वैसे परिजनों की आंखों से आंसुओं की धारा भी तेज होती गयी। वहां मौजूद जवान और गांव वालों की आंखों से भी आंसू निकल गए। माहौल पूरी तरह गमगीन रहा। [caption id="attachment_306825" align="alignnone" ] BSF Jawan Martyr Sanjay Dubey funeral procession[/caption]

सड़क हादसे में हुआ था संजय दुबे का निधन

दरअसल, 3 दिन पहले यानी 12 अगस्त को राजस्थान के जैसलमेर में भारत-पाकिस्तान ड्यूटी पर जा रहा बीएसएफ जवानों का ट्रक हादसे का शिकार हो गया था। लंगतला के पास बेकाबू ट्रक के पलटने से करीब 16 जवान घायल हुए थे। जिसमें संजय दुबे की मौत हुई थी। 40 साल के जवान संजय के निधन की खबर शनिवार देर रात बीएसएफ के जैसलमेर कार्यालय से ओबरा थाना को दी गई थी। [caption id="attachment_306826" align="alignnone" ] शहीद जवान को दी गई शस्त्र सलामी[/caption]

माता-पिता और पत्नी का बुरा हाल

सोमवार को जब शहीद का शव तिरंगे में लिपटकर ओबरा लाया गया तो सभी की आंखें नम थीं। बेटे को तिरंगे में लिपटा देख माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल था। जबकि उनकी पत्नी बेसुध हो गई थीं। परिजन-पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने शहीज जवाने के परिवार को संभाला। फिर सोमवार सुबह करीब 8 बजे शहीद सैनिक की शव यात्रा निकली। उन्हें सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। [caption id="attachment_306827" align="alignnone" ] बीएसएफ के जवानों की आंखे भी हुईं नम[/caption]

2002 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे संजय दुबे

संजय दुबे देश भक्ति का सपना लेकर आगे बढ़ रहे थे। साल 2002 में बीएसएफ में उनका चयन हुआ था। उनके दो बेटे हैं। स्वस्तिक की उम्र 12 साल, जबकि शुभ 10 साल का है। बेटे के निधन पर मां-पिता दोनों बेहद दुखी हैं। अब उन्हें यह चिंता परेशान कर रही है कि दुखों का ये पहाड़ टूटन के बाद अब उनका परिवार कैसे संभलेगा।


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