नई दिल्ली: नोएडा के ट्विन टावरों को गिरा दिया गया है। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तो शुरू की गई है लेकिन एक भी जिम्मेदार की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। नोएडा सेक्टर 93-ए में बनाए गए सुपरटेक ग्रुप के ट्विन टावरों के विध्वंस के बाद ये सवाल उठ रहा है कि आखिर इतनी बड़ी अवैध संरचना आखिर बन कैसे गई?
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जब ये साबित हो गया कि ट्विन टावर अवैध है और कानून को ताक पर रखकर इनका निर्माण किया गया है तो मामले में विभिन्न एजेंसियों ने अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की, लेकिन इसके लिए जिम्मेदार सुपरटेक, नोएडा प्राधिकरण या फिर अग्निशमन विभाग के किसी भी अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई। फिलहाल नोएडा प्राधिकरण के 11 अधिकारी रडार पर हैं। इनमें कुछ प्रमुख अधिकारी हैं, जिन्हें निलंबित किया गया है।
वे अधिकारी जिन्हें किया गया है निलंबित
योजना प्रबंधक: मुकेश गोयल
योजना सहायक: विमला सिंह
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम में योजना सहायक : अनीता
यमुना प्राधिकरण में महाप्रबंधक नियोजन : ऋतुराज
इनके अलावा सात अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की गई है
योजना विभाग में सीपीए: त्रिभुवन सिंह और वीए देवपुराजी
सीनियर टाउन प्लानर : राजपाल कौशिको
टाउन प्लानर: अशोक कुमार मिश्रा
परियोजना अभियंता: बाबू राम
समूह आवास विभाग में एजीएम : शैलेंद्र कैरे
वित्त नियंत्रक: ए सी सिंह
चार्जशीट में इन अधिकारियों के नाम शामिल
पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को सुपरटेक ग्रुप और नोएडा प्राधिकरण के बीच कथित मिलीभगत की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने का निर्देश भी दिया था।
जांच के दौरान एसआईटी ने नोएडा प्राधिकरण के 26 अधिकारियों को जिम्मेदार पाया था, जिन्होंने कथित तौर पर सुपरटेक को ट्विन टावर बनाने की मंजूरी दी। 26 अधिकारियों में से 20 सेवानिवृत्त हो चुके हैं, दो की मौत हो चुकी है और चार अभी भी सेवा में हैं।
एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर 4 अक्टूबर 2021 को मामला दर्ज किया गया था, जिसमें सुपरटेक के चार निदेशकों का भी नाम था। लखनऊ में सतर्कता विभाग ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और विभागीय जांच के आदेश भी दिए।
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जांच में ये भी पाया गया कि सुपरटेक को अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देकर तीन पूर्व मुख्य अग्निशमन अधिकारियों ने नियमों का उल्लंघन किया। तीनों अधिकारी अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं।