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Paralympics 2024: 1 पॉइंट से टूट गया मेडल का सपना, इतिहास रचने वाली शीतल देवी पैरालंपिक से हुईं बाहर

Paralympics 2024 Sheetal Devi Goes Mariana Zuniga Archery: पैरालंपिक में डेब्यू कर इतिहास रचने वाली शीतल देवी करीबी मुकाबले में हारकर बाहर हो गईं। उन्हें प्री-क्वार्टरफाइनल में टोक्यो पैरालंपिक की सिल्वर मेडल विजेता मारियाना जुनिगा से हार का सामना करना पड़ा।

Sheetal Devi
Paralympics 2024 Sheetal Devi Goes Mariana Zuniga Archery: पेरिस पैरालंपिक में भारत को बड़ा झटका लगा है। आर्चरी में शीतल देवी को एक करीबी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे पैरालंपिक 2024 से बाहर हो गई हैं। आर्चरी के प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में शीतल देवी चिली की मारियाना जुनिगा से भिड़ीं। ये मुकाबला बेहद करीबी रहा।

इस तरह एक अंक से हार गईं शीतल देवी

शीतल देवी ने इस मुकाबले में 137 पॉइंट हासिल किए। जबकि मारियाना ने उन्हें कड़ी टक्कर देते हुए 138 पॉइंट बनाए। इस तरह सिर्फ एक पॉइंट की वजह से शीतल देवी हारकर बाहर हो गईं। हालांकि इससे पहले शीतल और मारियाना बराबरी पर थीं। तीन राउंड तक दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर चलती रही, लेकिन चौथे राउंड में मारियाना को 1 पॉइंट की बढ़त मिल गई। जब बारी पांचवें राउंड की आई तो मारियाना की बढ़त बरकरार रही। जिससे शीतल देवी को हार का सामना करना पड़ा। आपको बता दें कि मारियाना टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं।

शीतल देवी रच चुकीं इतिहास

आपको बता दें कि शीतल देवी ने महज 17 साल की उम्र में डेब्यू करते हुए इतिहास रच दिया था। वह दुनिया की पहली आर्मलेस यानी बिना हाथों वाली आर्चर हैं। उन्होंने आर्चरी के रैंकिंग राउंड में 720 में से 703 पॉइंट हासिल किए थे। इन पॉइंट्स के साथ उन्होंने वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ डाला। वह 700 अंक का आंकड़ा छूने वाली पहली भारतीय महिला आर्चर बन गईं। हालांकि शीतल के इतिहास रचने के बाद तुर्किए की ओजनूर गिर्डी ने 704 अंक हासिल कर लिए। जिसके बाद शीतल देवी का रिकॉर्ड भी टूट गया।

7 साल की उम्र से नहीं दोनों हाथ 

शीतल देवी के 7 साल की उम्र से ही दोनों हाथ नहीं हैं। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और संघर्ष से सफलता तक का सफर पूरा किया। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में जन्मीं शीतल ने फोकोमेलिया नाम की जन्मजात बीमारी से पीड़ित रहीं। वह अपने दाहिने पैर से धनुष उठाकर दाहिने कंधे की मदद से डोरी खींचती हैं। फिर जबड़े से तीर छोड़ती हैं। वह बिना हाथों के आर्चरी करने वाली दुनिया की पहली तीरंदाज हैं।


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