सारस विमान राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाओं (NAL) द्वारा डिजाइन और विकसित एक टि्वन टर्बोप्रॉप इंजन युक्त 14 सीटर यात्री विमान है। सारस विमान निर्माण की परियोजना 1989 में शुरू की गई थी। विमान का पहला प्रोटोटाइप 2004 में बनकर तैयार हो गया था। सारस विमान को नागरिक और सैन्य परिवहन आवश्यतकताओं की पूर्ति के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें डिजिटल एविओनिक्स, फ्लाई बाय वायर फ्लाइट जैसी उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जो इसे हल्का वजन और बेहतर ईंधन दक्षता प्रदान करती हैं। इस लेख में, सारस विमान के इतिहास, डिजाइन, विकास और भविष्य की संभावनाओं को कवर करते हुए विस्तार से इसका पता लगाएंगे।
सारस विमान परियोजना की शुरुआत 1989 में एनएएल के सहयोग से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा की गई थी। इस परियोजना का उद्देश्य एक भारतीय परिवहन विमान को डिजाइन और विकसित करना था, जो भारत के नागरिक उड्डयन क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। सारस विमान का नाम भारतीय क्रेन सारस के नाम पर रखा गया है।
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सारस विमान का प्रारंभिक डिजाइन 1996 में पूरा हुआ था, और इस परियोजना को 1999 में भारत सरकार के प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) से धन प्राप्त हुआ। सारस विमान परियोजना को भारत सरकार की टेक्नोलॉजी विजन 2020 में शामिल किया गया। टेक्नोलॉजी विजन 2020 का उद्देष्य भारत को विभिन्न तकनीकियों में आत्मनिर्भर बनाना था।
वर्ष 2004 में, बैंगलोर में आयोजित एयरो इंडिया प्रदर्शनी में सारस विमान के पहले प्रोटोटाइप का अनावरण किया गया। प्रोटोटाइप में कनाडा के प्रैट एंड व्हिटनी टर्बोप्रॉप इंजन लगाए गए। प्रत्येक इंजन 950 एसपी यानी 708 किलोवाट का बल उत्पादन करता है, जो विमान को 550 किमी प्रति घंटा की अधिकतम क्रूज गति और 1232 किलोग्राम के पेलोड के साथ 1200 किमी की अधिकतम रेंज प्रदान करते है।. विमान की ईंधन क्षमता 475 गैलन यानी 1800 लीटर है। सारस प्रोटोटाइप ने कई जमीनी और उड़ान परीक्षण पूरे किए, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में परीक्षण उड़ानें शामिल थीं।
सारस विमान को कम लागत में क्षेत्रीय वायु परिवहन की सुविधा नागरिकों को उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया हैं। सारस छोटे रनवे से संचालित हो सकता है। विमान को उच्च गुणवत्ता वाल मिश्रित सामग्री से बनाया गया है, जो इसे हल्का, टिकाऊ और ईंधन कुशल बनाता है। सारस विमान में इस्तेमाल होने वाली मिश्रित सामग्री में कार्बन फाइबर, ग्लास फाइबर और एपॉक्सी रेजिन शामिल हैं।
सारस विमान के पंखों का फैलाव 19.5 मीटर, लंबाई 15.2 मीटर और ऊंचाई 5.5 मीटर है। विमान का अधिकतम टेकऑफ़ वजन 7100 किलोग्राम और पेलोड क्षमता 1232 किलोग्राम है। विमान में 14 यात्रियों के बैठने की क्षमता है और इसे कार्गो परिवहन के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सारस विमान उन्नत एवियोनिक्स और फ्लाई बाय वायर उड़ान नियंत्रण तकनीकों से लैस है, जो इसे अत्यधिक कुशल और पायलट कमांड के प्रति उत्तरदायी बनाता है। विमान अत्याधुनिक नेविगेशन सिस्टम, मौसम रडार और संचार प्रणालियों से भी लैस है, जो सभी मौसम की स्थिति में सुरक्षित और कुशल संचालन सुनिश्चित करता है।
– डॉ. आशीष कुमार