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नासा प्रमुख ने भारत को बताया भविष्य का अहम भागीदार, मिलकर करेंगे इस खास प्रोजेक्ट पर काम

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत के लगातार बढ़ रहे कद को अब अमेरिका भी स्वीकार कर रहा है। भारत दौरे पर आए अमेरिकी स्पेस एजेंसी के प्रमुख बिल नेलसन ने भारत को अंतरिक्ष के क्षेत्र में लीडर बताया है और इसरो के साथ भागीदारी बढ़ाने की बात कही है।

भारत और अमेरिका ने मंगलवार को अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी भागीदारी को और बढ़ाने के लिए चर्चा की। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) के प्रमुख बिल नेलसन की अगुवाई में एजेंसी के प्रतिनिधिमंडल ने इसे लेकर केंद्रीय राज्य मंत्री (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) जितेंद्र सिंह के साथ बैठक की। नेलसन ने बताया कि चर्चा का फोकस एक भारतीय अंतरिक्षयात्री की प्रस्तावित भूमिका पर केंद्रित रहा जिसे नासा की ओर से प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह अंतरिक्षयात्री अगले साल अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (आईएसएस) के लिए उड़ान भरेगा। बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए नासा प्रमुख ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत को भविष्य का एक महत्वपूर्ण भागीदार भी बताया। उन्होंने कहा कि साल 2024 की शुरुआत में दोनों देश मिलकर भारत से एक लो अर्थ ऑर्बिट ऑब्जर्वेटरी की शुरुआत करेंगे। केंद्रीय राज्य मंत्री सिंह के साथ हुई वार्ता को लेकर नेलसन ने कहा कि हमने इस पर चर्चा की कि भारतीय अंतरिक्षयात्री स्पेस स्टेशन पर क्या करेगा। नासा प्रमुख ने कहा कि हमने इस तथ्य पर भी बात की कि भारतीय अंतरिक्षयात्री के पास भारत के लिए जरूरी वैज्ञानिक रिसर्च करने का विकल्प होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर उस अंतरिक्षयात्री को रिसर्च के किसी विशिष्ट हिस्से में रुचि होगी तो मैं उसे प्रोत्साहित करना करूंगा। ये भी पढ़ें  भविष्य के लिए डराने वाला है चीन का कदम, क्या है ‘Near-Space Command’ जिससे बढ़ी दुनिया की चिंता?  अगले साल लॉन्च होगी अहम ऑब्जर्वेटरी नेलसन ने कहा कि नासा भारतीय अंतरिक्षयात्री को आईएसएस तक उड़ान भरने के लिए प्रशिक्षण में सहायता करेगी। उन्होंने कहा कि इसकी बारिकियों पर काम किया जा रहा है और इस बारे में इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) की ओर से घोषणा की जाएगी। नासा प्रमुख ने कहा कि साल 2024 की पहली तिमाही में भारत एक काफी महंगा अंतरिक्षयान 'नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार' (NISAR) ऑब्जर्वेटरी लॉन्च करेगा। धरती पर हो रहे बदलावों पर रहेगी नजर उन्होंने कहा कि हमारे इन प्रयासों से मिलने वाली जानकारी हमें यह बताएगी कि हमारे ग्रह और इसकी जलवायु के साथ क्या हो रहा है। नेलसन ने कहा कि करीब 100 करोड़ डॉलर की लागत से बनने वाला यह स्पेसक्राफ्ट धरती की सतह पर एक ऐसी तकनीक से नजर रखेगा जो इसमें आने वाले हर बदलाव को बता सकेगा। 'अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक लीडर है भारत' इसके साथ ही नेलसन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के लिए सिंह को बधाई भी दी। बता दें कि मंगलवार को भारत पहुंचने के बाद नेलसन ने एक ट्वीट में कहा था कि भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक लीडर है और हमें इस दौरे से काफी उम्मीदें हैं।


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