सूर्य की तरफ तेजी से आ रहा हरी पूंछ वाला धूमकेतु, देखने से चूके तो करना पड़ेगा 400 साल का इंतजार
Green colored comet Nishimura
Rare Green Comet Nishimura Updates: रहस्यों से भरे अंतरिक्ष में 435 साल बाद दुर्लभ संयोग बन रहा है। एक महीने पहले खोजा गया धूमकेतु निशिमुरा सूर्य के सबसे करीब पहुंचने वाला है। जिसे लोगों को देखने का बड़ा मौका मिलेगा। इसी हरी पूंछ सुबह-सुबह सूरज के करीब आते ही चमकती है। धूमकेतु निशिमुरा या C/2023 P1 12 एक दिन पहले 12 सितंबर को पृथ्वी के सबसे नजदीक था। अब यह तेजी से सूर्य की तरफ जा रहा है। 17 सितंबर तक यह पृथ्वी से नजर आएगा। इसके बाद यह सूर्य की रोशनी में खो जाएगा। फिर चार सदी बाद ही लोगों को नजर आएगा। यदि आपने यह मिस किया तो जीवन की महत्वपूर्ण खगोलीय घटना को देख नहीं पाएंगे।
आइए जानते हैं क्या धूमकेतु निशिमुरा? इसे देखने का सबसे अच्छा समय कौन सा है? इसे कैसे पहचाना जाए? और अंत में यह हरा क्यों है?
धूमकेतु सौरमंडल में कब दिखेगा?
धूमकेतु निशिमुरा 17 सितंबर तक सुबह सूर्योदय से पहले दिखाई देगा। तब यह सूर्य के सबसे करीब से गुजरेगा। देखने का सबसे अच्छा समय सुबह का है, लेकिन सप्ताह के अंत में जैसे-जैसे यह सूर्य के करीब आएगा, इसे देखना कठिन हो जाएगा। 15 सितंबर को धूमकेतु सूर्य के करीब आएगा और बुध के ऑर्बिट में प्रवेश कर जाएगा। 17 सितंबर को धूमकेतु पृथ्वी के उस ऑर्बिट में पहुंच जाएगा, जहां से वह सूर्य के सबसे करीब होगा। उस वक्त इसकी गति 2.9 होगी और इसे खुली आंखों से आसानी से देखा जा सकेगा।
धूमकेतु को कैसे पहचाना जाए?
सूर्योदय से लगभग एक घंटे पहले उत्तर-पूर्व की ओर देखें और धूमकेतु सिंह राशि में, आकाश में नीचे होना चाहिए। दूरबीन की भी मदद ली जा सकती है। इसके माध्यम से धूमकेतु की पूंछ का आकार भी दिखेगा। यदि आप अपनी खुली आंखों से देख रहे हैं, तो यह एक धुंधली बूंद जैसा हो सकता है।
[caption id="attachment_340591" align="alignnone" ] Green comet Nishimura[/caption]
क्या धूमकेतु निशिमुरा दुर्लभ है?
धूमकेतु निशिमुरा की खोज जापान के खगोलशास्त्री हिदेओ निशिमुरा ने 12 अगस्त को की थी। नासा का कहना है कि धूमकेतु निशिमुरा काफी दुर्लभ है। सूर्य के चारों ओर इसकी कक्षा करीब 430 सालों तक चलती है। ऐसे में यह चार सदी बाद ही फिर नजर आएगा। मतलब यह अब 25वीं शताब्दी में दिखेगा।
निशिमुरा हरा क्यों है?
धूमकेतु हरा दिखाई देता है क्योंकि इसके कोमा, नाभिक के आसपास की गैस में अपेक्षाकृत दुर्लभ प्रकार की कार्बन गैस होती है जिसे डायटोमिक कार्बन कहा जाता है, जिसमें दो कार्बन परमाणु एक साथ बंधे होते हैं।
धूमकेतु क्या है?
धूमकेतु बर्फ और चट्टान की गेंदें हैं, जो बाहरी सौर मंडल के एक क्षेत्र ऊर्ट बादल से सूर्य की परिक्रमा करते हैं। जब वे सूर्य के पास आते हैं, तो उनकी बर्फ गैस में बदल जाती है और पूंछ की तरह उनसे बहने लगती है। हम इसे कभी-कभी पृथ्वी से देख सकते हैं, लेकिन यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह कितना आसान होगा।
यह भी पढ़ें: कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़, सेना के कर्नल शहीद, मेजर और पुलिस अफसर घायल
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.