Death of Sun Scientists New Research: पृथ्वी पर समस्त जीवन के पीछे सूर्य एक प्रेरक शक्ति है। मौसम, समुद्री धाराएं, जलवायु और सभी जीव-जंतु सूर्य पर ही निर्भर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि वह तारा जो हमारे ग्रह को जीवन प्रदान करता है, अगर मर जाए या खत्म हो जाए तो क्या होगा?
इस सवाल को लेकर पहली बार खगोलविदों को उम्मीद है कि कोई सुराग मिल सकता है। वैज्ञानिकों ने पहली बार एक अध्ययन किया है, जिसमें सामने आया है कि सौरमंडल में सूर्य जैसे एक तारे में हाइड्रोजन भंडार या परमाणु ईंधन समाप्त हो गया है। इसी को लेकर अब सूर्य पर भी अध्ययन किया जा रहा है।
नेशनल जियोग्राफिक के अनुसार हमारी आकाशगंगा, मिल्की में करीब 100 बिलियन में से एक सूर्य साधारण तारा मात्र है। खगोलविदों ने तारकीय अवशेषों का अध्ययन किया जो मलबे, गैस और धूल के बादल के केंद्र में स्थित हैं, जिन्हें खगोलविद ग्रहीय निहारिका कहते हैं।
अध्ययन के लिए यहां लगाया गया टेलीस्कोपियो
बताया गया है कि यह पृथ्वी से लगभग 4,500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर खुले तारा समूह मेसियर 37 में स्थित है। खगोलविदों ने तारों से भरे ब्रह्मांडीय कब्रिस्तान का अध्ययन करने के लिए कैनरी द्वीप समूह में ला पाल्मा द्वीप पर ग्रैन टेलीस्कोपियो कैनारियास का उपयोग किया, जिनमें से कुछ मृत तारे पाए गए हैं।
इनके अध्ययन से वैज्ञानिकों को इस बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी मिली है कि एक बार लाल-गर्म तारा कैसे मर गया और यह भी जानकारी मिली कि हमारा अपना सौर मंडल लगभग पांच अरब वर्षों में कैसा दिख सकता है।
सूरज से लेकर सफेद तारे तक
रिपोर्ट के अनुसार एक मरते सूरज का ईंधन खत्म हो जाता है जो उसकी परमाणु संलयन प्रक्रियाओं के लिए अंतर्निहित है। फूली हुई बाहरी परतें फिर आंतरिक ग्रहों को निगल जाती हैं। बताया गया है कि पृथ्वी आकाशगंगा के सूर्य का एक आंतरिक ग्रह है।
फिर तारे का तारकीय पदार्थ का खोल फैल जाता है और ठंडा हो जाता है, जिसके बाद सूर्य एक ग्रहीय निहारिका बन जाता है। और अंततः इसका कोर एक लुप्त होते सफेद तारे में बदल जाता है।
अध्ययन दल के नेता और प्रोफेसर क्लॉस वर्नर ने कहा कि कोई तारा जितना अधिक विशाल होता है, वह उतनी ही तेजी से हाइड्रोजन को हीलियम में संलयन करके अपने परमाणु ईंधन का उपभोग करता है। इसलिए उसका जीवन छोटा होता है और वह तेजी से एक सफेद तारे में विकसित होता है। ।
अनुमान के अनुसार उन्होंने जिस तारे का अध्ययन किया उसका द्रव्यमान हमारे सूर्य के 2.8 गुना के बराबर था। वर्तमान में इसके पास पृथ्वी के सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 85 प्रतिशत ही बचा है। शेष इसके मूल कुल द्रव्यमान का लगभग 70 प्रतिशत, इसके जीवनकाल के दौरान नष्ट हो गया था।