Chandrayaan-3: अब भारत का चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम (लैंडर मॉड्यूल) चांद की सतर पर उतर चुका है। यह भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए इतिहासिक है। लैंडर अपने साथ रोवर (रोवर प्रज्ञान) ले गया है, जो उसके पेट में है। लेकिन अब आगे क्या...? 5 पॉइंट में समझें पूरी प्रक्रिया।
तीन घंटे बाद लैंडर से निकलेगा रोवर
दो इंजनों की मदद से हुई लैंडिंग: लैंडर विक्रम अपनी सुरक्षित गति से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा। शुरुआत में लैंडर के चार इंजन चालू थे। उसकी गति कम करने की प्रक्रिया में उसके दो इंजन बंद कर दिए गए। दोनों इंजनों की मदद से लैंडर सुरक्षित तरीके से चंद्रमा की सतह को छूने में कामयाब रहा।
लैंडिंग के वक्त छाया धूल का गुबार: लैंडर विक्रम जब चंद्रमा की सतह पर उतरा तो धूल का बड़ा गुबार छा गया। चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण बल काफी कमजोर है। इसलिए धूल के बैठने में समय लगेगा। धूल एक निश्चित समय के बाद बिखर जाएगी।
पेट से निकलेगा रोवर प्रज्ञान: धूल के बैठने में करीब तीन घंटे का समय लगेगा। इसके बाद लैंडर अपने पेट से रोवर प्रज्ञान को बाहर निकलेगा। भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश है।
इसलिए हुआ इंतजार: धूल के महीन कण लैंडर में लगे कैमरों को और अन्य संवेदनशील उपकरणों को खराब न कर दें, इसलिए इसरो ने तीन घंटे से अधिक समय तक इंतजार करने का फैसला लिया है।
वैज्ञानिक मिशन शुरू करेगा अपना मिशन: रोवर प्रज्ञान में सौर पैनल लगे हैं। वह लैंडर विक्रम से जुड़े एक तार के साथ बाहर निकलेगा। जैसे ही रोवर चंद्रमा की सतह पर स्थिर हो जाएगा, तार तोड़ दिया जाएगा। इसके बाद यह अपना वैज्ञानिक मिशन शुरू करेगा। रोवर चंद्रमा की सतह पर अशोक स्तंभ का निशान छोड़ेगा।
यह भी पढ़ें:मिलिए Chandrayaan-3 के तीन रियल हीरोज से, जिन्होंने नहीं मानी हार