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एसिडिटी और गैस की दवा बना सकती है आपको मानसिक रोगी, लोग समझने लगेंगे पागल

Dementia: क्या आप जानते हैं कि एसिडिटी (Acid reflux) से बचने के लिए खाई जाने वाली दवाईयां आपको घातक रूप से बीमार भी कर सकती हैं। हाल ही अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के जर्नल Neurology में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार पेट में बनने वाली एसिटिडी की रोकथाम के लिए दवाई खाना कई मानसिक […]

Image Credit: Youtube
Dementia: क्या आप जानते हैं कि एसिडिटी (Acid reflux) से बचने के लिए खाई जाने वाली दवाईयां आपको घातक रूप से बीमार भी कर सकती हैं। हाल ही अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के जर्नल Neurology में पब्लिश हुई एक रिपोर्ट के अनुसार पेट में बनने वाली एसिटिडी की रोकथाम के लिए दवाई खाना कई मानसिक बीमारियों (यथा कम याद्दाश्त, डिमेंशिया, अल्जाईमर और पार्किंसंस आदि) का कारण बन सकता है।

क्या होता है Acid reflux

यह स्थित तब आती है जब किन्हीं कारणों से पेट में बहुत ज्यादा एसिड बनने लगता है। इसकी वजह से हार्ट बर्न और अल्सर की शिकायत होने लगती है। यदि यह स्थिति लगातार बनी रहे तो पेट का कैंसर भी हो सकता है। पेट में ज्यादा एसिड का बनना दांतों और हड्डियों सहित शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। पेट में ज्यादा एसिड बनने से रोकने के लिए जो दवाईयां दी जाती हैं, उन्हें मेडिकल टर्म में प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स कहा जाता है। यह भी पढ़ें: अब उम्र बढ़ने के साथ कम नहीं होगी याददाश्त, वैज्ञानिकों को मिला जबरदस्त फॉर्मूला

एसिडिटी की दवा खाने से हो सकते हैं ये नुकसान

Proton pump inhibitors के जरिए आसानी से एसिड बनने के प्रोसेस को धीरा किया जा सकता है। परन्तु यदि लंबे समय तक इनका प्रयोग किया जाए तो व्यक्ति स्ट्रोक, ब्रेन फ्रैक्चर और किडनी संबंधी बीमारियों का शिकार हो सकता है। मिनेपोलिस में University of Minnesota School of Public Health की शोधकर्ता कामाक्षी लक्ष्मीनारायण के अनुसार इन दवाईयों का असर दिमाग पर भी होता है और डिमेंशिया जैसे रोग होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं।

रिसर्च में हुआ खुलासा

डॉक्टर्स की एक टीम ने 45 वर्ष से अधिक की उम्र वाले 5,712 लोगों पर एक रिसर्च की। ये सभी एडिस रेफ्लेक्स की दवा लंबे समय तक लगातार ले रहे थे। इन्हें चार कैटेगरीज में बांट कर अध्ययन किया गया था। रिसर्च में पाया गया जो लोग करीब 5.5 वर्षों तक इन दवाओं का नियमित रूप से प्रयोग कर रहे थे, उनमें से करीब 10 फीसदी लोगों में डिमेंशिया की शिकायत देखी गई। दूसरे ग्रुप्स में भी मानसिक बीमारियां बढ़ने के केस देखे गए।

क्या होता है डिमेंशिया (Dementia)

यह एक मानसिक बीमारी है जिसमें शरीर बीमार नहीं होता बल्कि व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है। कई बार तो ऐसे हालात हो जाते हैं कि उसे रोजमर्रा के काम के लिए भी दूसरों से सहायता लेनी पड़ती है। इस बीमारी में दिमाग को नुकसान पहुंचता है। अक्सर इस बीमारी में दिमाग का आकार सिकुड़ने लगता है और नसें फूलने लगती हैं। यह भी पढ़ें: बिल्व पत्र से होगा डायबिटीज और अस्थमा का इलाज

ये होते हैं डिमेंशिया के लक्षण

आम तौर पर लोग डिमेंशिया को मंदबुद्धि या पागलपन समझ लेते हैं जो सही नहीं है। कुछ लोग इसे कम याददाश्त से भी जोड़ कर देखते हैं। लेकिन ये सभी चीजें गलत है। वास्तव में डिमेंशिया का मरीज दिमागी रूप से कमजोर हो जाता है। उसमें प्रमुख रूप से निम्न लक्षण दिखने लगते हैं
  • वह अजीब सी हरकतें करने लगता है,
  • आम बातों को भी समझने में दिक्कत होने लगती है,
  • बहुत कोशिशों के बाद भी वह छोटी-छोटी चीजें याद नहीं रख पाता,
  • अनावश्यक क्रोधित होने लगता है,
  • कई बार वह यह भी भूल जाता है कि वह क्या कर रहा था,
  • दूसरों के साथ गाली-गलौच करने लगता है,
  • उसकी सोचने-समझने की शक्ति कम हो जाती है,
  • एक ही बात को बार-बार दोहराता रहता है,
  • उसे वहम होने लगते हैं और वह उन्हीं को सही मानता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे डॉक्टरी सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें एवं उनकी सलाह से ही दवा लें।


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