Shukra Asta 2024: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, शुक्र एक शुभ ग्रह है। यह वैभवपूर्ण जीवन और सांसारिक सुखों की प्राप्ति का मुख्य कारक ग्रह है। इस ग्रह के प्रभाव से व्यक्तियों को न केवल शारीरिक सुखों की की प्राप्ति होती है, बल्कि सभी प्रकार के भोग-विलास, कला, सौंदर्य और रोमांस का सुख और साहचर्य भी प्राप्त होता है।
शुक्र पूरे साल की एक विशेष अवधि में अस्त और उदित होते हैं, जिसे ‘शुक्र तारा का अस्त होना’ (Combustion of Venus) या शुक्र का लोप होना भी कहते हैं। हिन्दू धर्म की मान्यताओं और वैदिक ज्योतिष के मुताबिक शुक्र के अस्त होने के बाद सभी प्रकार के मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।
कब से कब तक अस्त रहेंगे शुक्र
हिन्दू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2024 में शुक्र ग्रह अप्रैल से लेकर जून महीने तक अस्त रहेंगे। इस ग्रह का अस्त होना 25 अप्रैल, 2024 (गुरुवार) को सुबह 05 बजकर19 मिनट से शुरू होगा। शुक्र के अस्त होने की यह अवधि 29 जून, 2024 (शनिवार) की शाम 07 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी।
इस प्रकार शुक्र के अस्त होने की कुल अवधि 66 दिनों की होगी। जहां तक राशि की बात है, तो वे अप्रैल महीने में मेष राशि में अस्त होंगे और जून महीने में मिथुन राशि में फिर उदित होंगे।
क्या है शुक्र का अस्त होना
वैदिक ज्योतिष के ग्रंथों के अनुसार, जब जब शुक्र ग्रह सूर्य के समीप आ जाता है, तो वह सूर्य के प्रखर तेज (चमक) के सामने फीका हो जाता है यानी अपनी स्वाभाविक तेज खो देता है। शुक्र ग्रह की चमक सूर्य के प्रकाश में खो जाने के कारण वह अदृश्य हो जाता है। इसको खगोलीय घटना को शुक्र ग्रह का अस्त होना या शुक्र ग्रह का विलोपित या लोप हो जाना भी कहते हैं।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार, यह घटना तब घटित होती है, जब शुक्र ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर सूर्य के 10 डिग्री तक पहुंच जाता है। इस दूरी पर पहुंचने के बाद शुक्र निस्तेज होने लगता है। जब तक ग्रह सूर्य से 10 डिग्री से दूर नहीं हो जाता है, तब तक वह शुक्र को अस्त माना जाता है।
क्यों रोक दिए जाते हैं मांगलिक कार्य
शुक्र एक निश्चित अवधि के बाद सूर्य के समीप आते हैं और अस्त होकर फिर उदित होते हैं, जिसका कमोबेश असर सभी लोगों के जीवन में जरूर पड़ता है। एक शुभ होने के कारण शुक्र सभी प्रकार के मांगलिक कार्य विशेष कर सगाई, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि पर विशेष सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। लेकिन जब वे अस्त हो जाते हैं, तब उनका प्रभाव इन कारकों पर कम हो जाता है या बिल्कुल प्रभावहीन हो जाता है।
ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार, शुक्र दाम्पत्य जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं और पति-पत्नी प्रेम संबंध पर असर डालते हैं। वे जीवन के अधिकांश सुखों और सुखद चीजों के कारक हैं। जब शुक्र बलशाली होते हैं, तो यह सुख निरंतर बना रहता है। मान्यता के अनुसार, जब शुक्र अस्त हो जाता है, तब इन कार्यों के सुखों में कमी हो जाती है. इसलिए इस अवधि में सगाई और विवाह जैसे अन्य शुभ काम नहीं किए जाते हैं।
मान्यता है कि शुक्र के अस्त होने की अवधि में विवाह करने से दाम्पत्य जीवन में कटुता और कलह उत्पन्न होता है। मांगलिक कार्यों में हमेशा विघ्न आता रहता है। इसलिए शुक्र के अस्त होते ही सभी प्रकार के वैवाहिक और मांगलिक कार्य रोक दिए जाते हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है और केवल जानकारी के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।