Types of Calendars: आज के दौर में कैलेंडर हमारी डेली लाइफ का एक अहम हिस्सा है. तारीख, दिन, त्योहार, छुट्टियां और सरकारी कामकाज सब कुछ कैलेंडर से जुड़ा हुआ है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया भर में समय गिनने के तरीके अलग-अलग क्यों रहे हैं. दरअसल, हर सभ्यता ने अपनी जरूरत, भौगोलिक स्थिति, खगोलीय ज्ञान और सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुसार कैलेंडर विकसित किया है. आइए जानते हैं, दुनिया के प्रमुख कैलेंडरों के बारे में, वे कब शुरू होते है और उनसे जुड़ी रोचक बातें क्या हैं?
ग्रेगोरियन कैलेंडर
ग्रेगोरियन कैलेंडर आज दुनिया का सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाला कैलेंडर है. यह सूर्य आधारित है और इसमें सामान्य वर्ष में 365 दिन होते है, जबकि लीप ईयर में 366 दिन जोड़े जाते है.
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कब शुरू होता है: 1 जनवरी
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसे 1582 ईस्वी में पोप ग्रेगरी 13 ने लागू किया था ताकि जूलियन कैलेंडर की कमियों और त्रुटियों को सुधारा जा सके. आज लगभग सभी देशों की सरकारी और अंतरराष्ट्रीय गतिविधियां इसी कैलेंडर पर आधारित हैं.
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जूलियन कैलेंडर
जूलियन कैलेंडर प्राचीन रोम का कैलेंडर था, जिसे सम्राट जूलियस सीजर ने शुरू किया था.
कब शुरू होता है: 1 जनवरी
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसमें लीप ईयर की व्यवस्था तो थी, लेकिन गणना पूरी तरह सटीक नहीं थी. इसी वजह से समय के साथ मौसम और तारीखों में अंतर बढ़ने लगा और बाद में ग्रेगोरियन कैलेंडर लाया गया.
चीनी कैलेंडर
चीनी कैलेंडर चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित है. इसमें 12 वर्षों का एक चक्र होता है, जिनके नाम पशुओं पर रखे गए है.
कब शुरू होता है: 21 जनवरी से 20 फरवरी के बीच
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: चीनी नववर्ष हर साल अलग तारीख को आता है. इस कैलेंडर का उपयोग ज्योतिष, भाग्य और पारंपरिक विश्वासों में आज भी व्यापक रूप से होता है.
विक्रम संवत
विक्रम संवत भारत के सबसे पुराने और प्रचलित कैलेंडरों में से एक है. इसे राजा विक्रमादित्य से जोड़ा जाता है.
कब शुरू होता है: मार्च-अप्रैल, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: यह ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 56–57 वर्ष आगे चलता है. उत्तर भारत में धार्मिक पर्व, व्रत और पंचांग इसी पर आधारित होते है.
शक संवत
शक संवत भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय कैलेंडर है. यह सूर्य आधारित है और वैज्ञानिक दृष्टि से काफी सटीक माना जाता है.
कब शुरू होता है: 22 मार्च, लीप ईयर में 21 मार्च
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: सरकारी गजट, सरकारी कैलेंडर और कई आधिकारिक दस्तावेजों में शक संवत का उपयोग किया जाता है.
हिजरी कैलेंडर
हिजरी कैलेंडर इस्लाम धर्म का कैलेंडर है और यह पूरी तरह चंद्र आधारित है.
कब शुरू होता है: कोई निश्चित तारीख नहीं
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: चंद्र वर्ष लगभग 354 दिनों का होता है, इसलिए रमजान, ईद और अन्य पर्व हर साल लगभग 10–11 दिन पहले आ जाते है.
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हिब्रू कैलेंडर
हिब्रू कैलेंडर यहूदी समुदाय द्वारा प्रयोग किया जाता है. यह चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित है.
कब शुरू होता है: सितंबर-अक्टूबर
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसमें कुछ विशेष वर्षों में एक अतिरिक्त महीना जोड़ा जाता है ताकि धार्मिक त्योहार सही मौसम में बने रहे.
फारसी या सोलर हिजरी कैलेंडर
यह कैलेंडर ईरान और अफगानिस्तान में प्रयोग होता है. इसे
कब शुरू होता है: 20 या 21 मार्च
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसे दुनिया के सबसे सटीक कैलेंडरों में गिना जाता है. इसका नववर्ष नौरोज वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है.
बौद्ध कैलेंडर
बौद्ध कैलेंडर थाईलैंड, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों में प्रचलित है. माना जाता है इसका विकास भारत में ही हुआ था.
कब शुरू होता है: देश के अनुसार अलग, आमतौर पर अप्रैल के मध्य
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसकी गणना भगवान बुद्ध के निर्वाण से मानी जाती है और बौद्ध पर्व इसी कैलेंडर से तय होते है.
जापानी एरा कैलेंडर
जापान में ग्रेगोरियन कैलेंडर के साथ-साथ जापानी एरा कैलेंडर भी उपयोग में है.
कब शुरू होता है: 1 जनवरी
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: हर नए सम्राट के शासन के साथ एक नई एरा शुरू होती है, जिसका उपयोग सरकारी दस्तावेजों में भी किया जाता है.
माया कैलेंडर
माया कैलेंडर मध्य अमेरिका की माया सभ्यता द्वारा विकसित किया गया था.
कब शुरू होता है: आधुनिक कैलेंडर से सीधा मेल नहीं
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: यह खगोल विज्ञान की अत्यंत उन्नत समझ को दर्शाता है और कई जटिल चक्रों में बंटा हुआ था.
एजटेक कैलेंडर
एजटेक कैलेंडर भी मध्य अमेरिका की एक विकसित सभ्यता का उदाहरण है.
कब शुरू होता है: ग्रेगोरियन से स्थायी रूप से जुड़ा नहीं
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसका प्रसिद्ध सन स्टोन आज भी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आकर्षण का केंद्र है.
मिस्री कैलेंडर
प्राचीन मिस्र का कैलेंडर नील नदी की बाढ़ पर आधारित था.
कब शुरू होता है: लगभग जुलाई
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: नील नदी की बाढ़ को जीवन का आधार माना जाता था, इसलिए पूरा कैलेंडर उसी के अनुसार तैयार किया गया.
यूनानी ओलंपियाड कैलेंडर
प्राचीन यूनान में समय की गणना ओलंपिक खेलों के आधार पर की जाती थी.
कब शुरू होता था: हर चार साल में
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इससे खेलों का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी झलकता है.
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इथियोपियन कैलेंडर
इथियोपियन कैलेंडर आज भी इथियोपिया में प्रयोग होता है.
कब शुरू होता है: 11 या 12 सितंबर
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इसमें 13 महीने होते है और इसके वर्ष ग्रेगोरियन कैलेंडर से 7–8 साल पीछे चलते है.
कोरियाई पारंपरिक कैलेंडर
कोरियाई पारंपरिक कैलेंडर चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित है. इसमें चंद्र महीनों के साथ सूर्य की स्थिति को भी ध्यान में रखा जाता है, ताकि मौसम और त्योहारों में संतुलन बना रहे.
कब शुरू होता है: जनवरी से फरवरी के बीच
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: कोरियाई नववर्ष को सोलल कहा जाता है. यह परिवार और पूर्वजों के सम्मान का पर्व होता है. आज भी पारंपरिक त्योहार और पूर्वज पूजन इसी कैलेंडर के अनुसार किए जाते है.
मंगोलियाई चंद्र कैलेंडर
मंगोलियाई कैलेंडर चंद्र गणना पर आधारित है और यह वहां की घुमंतू जीवनशैली से गहराई से जुड़ा रहा है.
कब शुरू होता है: जनवरी या फरवरी
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: मंगोल नववर्ष को त्सागान सार कहा जाता है. इसका मतलब होता है सफेद चंद्रमा. इस समय लोग नए मौसम और पशुपालन के नए चक्र की शुरुआत मानते है.
तिब्बती कैलेंडर
तिब्बती कैलेंडर भी चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित है. इसमें ग्रह, नक्षत्र और ज्योतिषीय गणनाओं को बहुत महत्व दिया जाता है.
कब शुरू होता है: फरवरी से मार्च के बीच
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: तिब्बती नववर्ष को लोसार कहा जाता है. यह कई दिनों तक चलने वाला पर्व होता है और इसमें आध्यात्मिक शुद्धि और नए आरंभ पर जोर दिया जाता है.
नॉर्स या वाइकिंग कालगणना
नॉर्स कैलेंडर प्राचीन स्कैंडिनेवियाई लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. यह मुख्य रूप से मौसम और कृषि चक्र पर आधारित था.
कब शुरू होता है: आमतौर पर मार्च या अप्रैल
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: नॉर्स कैलेंडर में महीनों के नाम देवताओं और प्राकृतिक शक्तियों से जुड़े होते थे. समुद्री यात्राओं और युद्ध अभियानों की योजना इसी के अनुसार बनाई जाती थी.
इंका सभ्यता की समय प्रणाली
इंका कैलेंडर दक्षिण अमेरिका की इंका सभ्यता द्वारा विकसित किया गया था. यह सूर्य और कृषि से गहराई से जुड़ा था.
कब शुरू होता है: जून के आसपास
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इंका लोग सूर्य को सर्वोच्च देवता मानते थे. उनका प्रमुख पर्व इंटी रायमी सूर्य देव को समर्पित था और खेती के सही समय का निर्धारण इसी कैलेंडर से किया जाता था.
पोलिनेशियन समुद्री कैलेंडर
पोलिनेशियन कैलेंडर समुद्र, तारों और हवाओं पर आधारित थे. यह किसी एक निश्चित तारीख से नहीं जुड़े थे.
कब शुरू होता है: कोई तय तारीख नहीं है
इंटरेस्टिंग फैक्ट्स: इन कैलेंडरों की मदद से लोग हजारों किलोमीटर की समुद्री यात्राएं बिना आधुनिक उपकरणों के कर लेते थे. मछली पकड़ने और यात्रा के सही समय का निर्धारण तारों की स्थिति से किया जाता था.
इन सभी कैलेंडरों से यह स्पष्ट होता है कि समय को समझने का तरीका हर सभ्यता में अलग रहा है. दुनिया के ये अलग-अलग कैलेंडर यह भी दिखाते है कि समय केवल घड़ी और तारीख का खेल नहीं है. यह सभ्यताओं की सोच, उनके ज्ञान और प्रकृति से जुड़े रिश्ते को दर्शाता है. हर कैलेंडर अपने साथ इतिहास, परंपरा और संस्कृति की कहानी कहता है. कहीं पूर्वजों और देवताओं का सम्मान झलकता है, तो कहीं प्रकृति और समुद्र के साथ गहरा रिश्ता. यही वजह है कि कैलेंडर केवल समय गिनने का साधन नहीं, बल्कि मानव सभ्यता का आईना माने जाते है.
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