बिहार में यहां स्थित है यह मंदिर
भगवान शिव का यह विशेष मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में देवकुंड नामक स्थान पर स्थित है। पुराणों के अनुसार, कभी यहां घना जंगल हुआ करता था और यहां च्यवन ऋषि का आश्रम था। उन्होंने यहां एक सरोवर की स्थापना की थी। कहते हैं, त्रेता युग में भगवान यहां आए थे और उन्होंने इस सरोवर में स्नान कर च्यवन ऋषि का आशीर्वाद लिया था।भगवान राम ने स्थापित किया विशेष शिवलिंग
देवकुंड के इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को दूधेश्वरनाथ महादेव कहते हैं। मान्यता है कि यह शिवलिंग यहां त्रेता युग से स्थापित है। कहते हैं, च्यवन ऋषि के कहने पर भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा अर्चना की थी। यह शिवलिंग नीलम पत्थर से निर्मित है, जो दुर्लभ है। यह देश का इकलौता शिव मंदिर है, जहां नीलम शिवलिंग स्थापित है। कहते हैं, जो भक्त सच्चे से दूधेश्वर महादेव की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी हो जाती हैं।एक ही रात में बनकर तैयार हुआ मंदिर
देवकुंड मंदिर को लेकर कहा जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हुआ है, जिसे स्वयं देवताओं के वास्तुकार और देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने तैयार किया था। इसकी एक और विशेषता यह है कि यह विशाल मंदिर एक ही पत्थर को तराश कर बनाया गया है। केवल यही नहीं बल्कि औरंगाबाद जिले में ही स्थित देव नामक जगह पर स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण भी एक ही रात में हुआ था।सावन में कांवड़ यात्री करते हैं जलाभिषेक
इस मंदिर में हर महीने की दोनों त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के दिन विशेष पूजा की जाती है। साथ ही महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों की खास भीड़ उमड़ती है। सावन में कांवड़ यात्री बिहार की राजधानी पटना के पास बहती गंगा नदी का पवित्र जल कांवड़ से ढ़ोकर देवकुंड मंदिर के शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। यह दूरी लगभग 115 किलोमीटर पैदल है। यहां यह परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है। ये भी पढ़ें: Gupt Navratri 2024: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब है? जानें तिथि, घट स्थापना मुहूर्त और महत्व ये भी पढ़ें: आषाढ़ माह शुरू, जानें पुरी रथयात्रा, देवशयनी एकादशी से लेकर गुरु पूर्णिमा तक व्रत-त्योहारों की तिथियां, देखें List
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