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Shiv Purana: भगवान की कृपा और भाग्योदय के लिए इन 4 जगहों पर मनुष्य को सह लेना चाहिए अपमान

Shiv Purana: शिव पुराण बताता है कि हर अपमान हानि नहीं, कभी वह कृपा का संकेत होता है. इस ग्रंथ के अनुसार, जीवन में 4 स्थानों पर मिला अपमान भाग्य बदल सकता है. क्या सच में सहनशीलता से भगवान प्रसन्न होते हैं? आइए जानते हैं, ये 4 स्थान कौन-से हैं और इन स्थानों का रहस्य क्या है?

Shiv Purana ki Seekh: सामान्य जीवन में अपमान को कोई भी सहन नहीं करना चाहता. अपमान मन को दुखी करता है और आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है. लेकिन शिव पुराण में एक गहरा संदेश दिया गया है. इसके अनुसार कुछ विशेष स्थानों पर यदि व्यक्ति अपमान सह ले, तो वही अपमान उसके भाग्य को नई दिशा दे सकता है. यह सहनशीलता भगवान की कृपा पाने का माध्यम बन जाती है.

महादेव को धैर्य और वैराग्य का प्रतीक माना गया है. शिव पुराण सिखाता है कि क्रोध पर नियंत्रण और अहंकार का त्याग व्यक्ति को ऊंचा उठाता है. जब इंसान सही जगह पर मौन रखता है, तो उसका कर्म स्वयं बोलने लगता है. आइए जानते हैं, किन जगहों पर यदि अपमान भी मिलता है, तो भी इंसान को भगवान की कृपा प्राप्त होती है और उसका भाग्योदय होता है?

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मां के सामने अपमान

मां का स्थान सबसे ऊपर माना गया है. यदि मां गुस्से में कुछ कठोर शब्द कह दे, तो उसे अपमान नहीं समझना चाहिए. यह उनके अनुभव और चिंता का परिणाम होता है. ऐसे समय शांत रहना और मौन स्वीकार करना जीवन में सुख और उन्नति लाता है. शिव पुराण के अनुसार, मां के वचन भाग्य को नया मार्ग देते हैं.

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पिता के सामने संयम

पिता अनुशासन और मार्गदर्शन का प्रतीक होते हैं. यदि उनके शब्द कठोर लगें, तो उन्हें चुनौती न बनाएं. पिता के सामने झुकना अहंकार को समाप्त करता है. यही विनम्रता आगे चलकर सफलता का आधार बनती है.

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गुरु या शिक्षक के शब्द

गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार से बाहर निकालता है. यदि कोई सच्चा गुरु सुधार के लिए कठोर बोल बोल दे, तो उसे स्वीकार करना चाहिए. गुरु का ऐसा व्यवहार शिष्य के भीतर छिपी कमजोरियों को दूर करता है. शिव पुराण में गुरु कृपा को जीवन परिवर्तन का मूल बताया गया है.

शिव मंदिर या देवालय में

यदि भगवान के मंदिर में किसी कारण अपमान हो जाए, तो उसे सह लेना विशेष फल देता है. मंदिर में अहंकार का त्याग करना सबसे बडा तप माना गया है. ऐसे क्षण में सहनशीलता दिखाना सीधे महादेव की कृपा से जुडता है.

अपमान नहीं, समझें परीक्षा

शिव पुराण बताता है कि हर अपमान दंड नहीं, बल्कि परीक्षा हो सकता है. जो व्यक्ति इन चार स्थानों पर स्वयं को शांत रखता है, वह भीतर से मजबूत बनता है. ऐसे लोग जीवन में स्थायी सफलता प्राप्त करते हैं.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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