Premanad Maharaj Viral Video: भारतीय संस्कृति में यह धारणा बहुत आम है कि यदि पत्नी भगवान की सच्चे मन से पूजा करती है, व्रत रखती है और धर्म के मार्ग पर चलती है, तो उसका पुण्य अपने आप उसके पति और परिवार को प्राप्त होता है। इससे जुड़ा सवाल भक्त ने महाराज से किया कि अगर पत्नी पूजा करती है तो क्या इसका फल पति को मिलता है या नहीं? इस सवाल पर संत प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही सहज और शांत भाव से इस बात को एक बिल्कुल अलग और स्पष्ट दृष्टिकोण से समझाया है, जो पारंपरिक सोच से अलग लेकिन आध्यात्मिक रूप से अत्यंत सटीक है। तो आइए जानते हैं क्या बोले महाराज इस विषय में।
प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा?
प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट रूप से कहा कि, यदि पत्नी भक्ति कर रही है तो उसका पुण्य केवल उसे ही प्राप्त होगा। जो भी पूजा करता है, उसका फल उस व्यक्ति को ही मिलता है। लेकिन पत्नी अगर चाहे तो वह अपने पुण्य को अपने पति को दे सकती है लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है। इसका मतलब यह हुआ कि पुण्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो अपने आप किसी को मिल जाए यह एक आध्यात्मिक संपत्ति है, जिसे भक्ति करने वाला ही नियंत्रित करता है।
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महाराज का कहना है कि सभी को पूजा-पाठ, अर्चना करनी चाहिए। आपके कर्मों को कोई और नहीं सुधार सकता, आप खुद ही अपने ध्यान, कीर्तन, जाप से अपना पुण्य कमा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर पत्नी सिर्फ भगवान की स्तुति कर रही है, पूजा कर रही है, तो उसका लाभ सिर्फ उसी को मिलेगा। पति को तभी मिलेगा जब वह पत्नी का आदर करे, उसके मार्ग में सहयोग करें या जब पत्नी उसे अपना पुण्य देना चाहे। यह सोच आधुनिक युग की नारी की आत्मनिर्भरता और उसकी आध्यात्मिक सत्ता को भी दर्शाती है।
अर्थात्, भक्ति का फल केवल भावना और कर्म पर आधारित होता है। पत्नी की भक्ति का लाभ पति को तभी मिलेगा जब पत्नी चाहेगी। इसलिए यह सोचना कि पत्नी पूजा कर रही है, तो मुझे भी पुण्य मिल रहा होगा यह केवल भ्रम है। प्रेमानंद जी की यह बात हमें सिखाती है कि हर व्यक्ति को अपने पुण्य और आध्यात्मिक उन्नति के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है