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Nirjala Ekadashi 2025: 3 दिन बाद है निर्जला एकादशी, करें ये 3 अचूक उपाय; होगी खुशियों और धन की बरसात

Nirjala Ekadashi 2025: भगवान विष्णु को समर्पित निर्जला एकादशी साल की सबसे बड़ी एकादशी मानी जाती है, जो सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और सेवा का अवसर है। यहां 3 विशेष उपाय बताए गए है। माना जा है कि इन्हें एकादशी पर पूर्ण निष्ठा और विश्वास से करने पर पूरे साल शुभता और सुख-समृद्धि बनी रहती है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये उपाय?

भीषण गर्मी होते हुए भी निर्जला एकादशी व्रत में एक बूंद जल भी ग्रहण करना वर्जित है।
Nirjala Ekadashi 2025:  निर्जला एकादशी साल की न केवल सबसे बड़ी एकादशी है बल्कि यह सभी एकादशियों में सबसे कठिन एकादशी भी मानी जाती है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ने वाली यह एकादशी जल रहित व्रत होने के कारण 'निर्जला' कहलाती है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस साल यह एकादशी आज से 3 दिन बाद यानी 6 जून, 2025 को मनाई जाएगी। इस एकादशी को 'भीम एकादशी' भी कहा जाता है, जिसके बारे कहा जाता है कि यह एक ऐसा महापर्व है, जो साल भर की एकादशियों का पुण्य फल अकेले देने में सक्षम है। आइए जानते हैं, इस दिन किए जाने वाले कुछ बेहद विशेष और अचूक उपाय, जिसके बारे में कहा जाता है कि इन उपायों से खुशियों और धन की बरसात होती है। ये भी पढ़ें: गहने-आभूषण पहनने के लिए नाक और कान में कब करवाएं छेद, जानें धार्मिक मान्यताएं

पीतल कलश में तुलसी जल से अभिषेक

निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर, पीले वस्त्र धारण करें और घर के पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें। इसके बाद तुलसी की कुछ पत्तियाँ और गंगाजल से भरे पीतल के कलश से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस अभिषेक के दौरान 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें। यह उपाय आपके जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को हटाकर समृद्धि और सकारात्मकता लाता है।

पीपल पूजा और दीपदान

इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व होता है। सूर्योदय के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और 11 परिक्रमा करें। साथ ही, वृक्ष पर जल चढ़ाएं और चंदन अथवा अक्षत अर्पित करें। ऐसा माना जाता है कि पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है। यह उपाय विशेष रूप से पैसों की तंगी दूर करने और व्यापार में वृद्धि के लिए प्रभावी माना जाता है।

जल और वस्त्र दान

निर्जला व्रत का मूल भाव 'त्याग' और 'सेवा' है। इस दिन गरीबों या प्यासे लोगों को शीतल जल, छाछ, फल, और पीले वस्त्र दान करें। अगर संभव हो तो मिट्टी के घड़े में ठंडा जल भरकर सार्वजनिक स्थानों पर रखें। इस छोटे से सेवा कार्य से आपको ना केवल पुण्य मिलेगा, बल्कि आपके जीवन में स्थिरता, शांति और आर्थिक समृद्धि भी बढ़ेगी। ये भी पढ़ें: हथेली पर दिखें ये रेखाएं और चिह्न तो नसीब में पैसा ही पैसा, सफलता भी चूमेगी आपके कदम
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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