Neem Karoli Baba: उत्तर प्रदेश में नीम करोली नामक रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकने की घटना से प्रसिद्ध हुए नीम करोली बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा है। उनके जन्म के बारे में कहा जाता है कि लगभग 1900 के आसपास उनका जन्म उत्तर प्रदेश में ही फिरोजाबाद जिल के अकबरपुर गांव में हुआ था। कहते हैं कि बाबा को 17 साल की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। वे हनुमान जी के महान भक्त थे और उनके भक्त उनको कलयुग में हनुमान जी का साक्षात अवतार मानते हैं।
नीम करोली बाबा की शिक्षाएं
नीम करोली बाबा का जीवन जितना सादा था, उनका रहन-सहन जितना साधारण था, उनकी शिक्षाएं भी उतनी ही सीधी और खरी हैं। वे प्रेम, मानवता, समर्पण, सहयोग आदि गुणों को सबसे अधिक मानते थे। यही कारण है की बाबा की शिक्षाएं बेहद व्यवहारिक हैं, जो प्रेम, सेवा और भक्ति पर आधारित हैं। ये सभी के लिए हैं, सब वर्ग के लिए हैं। नीम करोली बाबा ने अपने उपदेशों में बार-बार कुछ बातें कहीं हैं। उन सीखों में 5 मुख्य सीख किसी भी मनुष्य को जीवन में कभी नहीं भूलना चाहिए। ये बातें हैं:
ये भी पढ़ें: Vastu Tips: होली से पहले करें ये 3 खास वास्तु उपाय, रंग और खुशियों के त्योहार से पहले बढ़ जाएगी इनकम
हर किसी को प्यार दो
बाबा ने अपने उपदेशों में कहा है कि प्रेम में सबसे अधिक शक्ति है। यह किसी का भी हृदय को पिघला सकती है। यह प्रेम ही है, जो जीवन को मधुर बनाता है। इसलिए हर किसी कोई प्यार दो, वो भी बिना किसी लाभ या प्रत्युत्तर की अपेक्षा के बिना। यह बिल्कुल निःस्वार्थ होना चाहिए। बाबा कहते थे, इससे हर किसी का जीवन प्रेम से भर जाएगा। वे कहते थे कि हम जो बोते हैं, वहीं काटते हैं।
सबकी सेवा करो
बाबा ने सेवा को भक्ति का एक अनिवार्य अंग बताया। वे कहते थे कि जिसमें सेवा भाव नहीं है, वह भगवान की भक्ति कर ही नहीं सकता है। उन्होंने यह भी कहा है कि बिना किसी भेदभाव के, हर जरूरतमंद की सहायता करना ही सच्ची सेवा है। इसका परिणाम यह होता है कि मनुष्य का अहम और घमंड समाप्त हो जाती है, जीवन में विनम्रता आती है, जिससे व्यक्ति को ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव होता है।
सबको भोजन दो
नीम करोली बाबा कहते थे कि भोजन के बिना संसार नहीं चल सकता है। किसी को भोजन सबसे बड़ी सेवा है। जो कोई घर आए तो उसे प्रेमपूर्वक भोजन कराना एक महान पुण्य का काम है। वे कहते थे कि भूखे को भोजन देना केवल शारीरिक तृप्ति नहीं, बल्कि आत्मिक संतोष का कार्य भी है।
भगवान को हमेशा याद करो
ईश्वर के नाम सुमिरन यानी स्मरण को नीम करोली बाबा ने भगवान तक पहुंचने का सबसे आसान रास्ता बताया है। वे कहते थे कि नाम जप, ध्यान और प्रार्थना से मन शुद्ध होता है और ईश्वर के प्रति समर्पण बढ़ता है। बाबा के उपदेशों में यह भी मिलता है कि दुनिया की झंझटों में उलझने के बावजूद, भगवान का स्मरण हमें सही दिशा में बनाए रखता है।
सबमें भगवान का अंश है
नीम करोली बाबा एक महान मानवतावादी थे। यही कारण है कि वे 20वीं शताब्दी के एक सबसे महान संत थे। वे कहते थे कि सभी मनुष्य में भगवान का अंश है, क्योंकि आत्मा में परमात्मा का वास होता है। इसलिए सभी मनुष्यों को भगवान के रूप में प्यार करो, भले ही वे तुम्हें चोट पहुंचाए, कष्ट दे या तुम्हें शर्मिंदा करें।
ये भी पढ़ें: Lucky Gemstones: यह रत्न धारण करते ही खिंची चली आती है सफलता और धन, ‘मनी मैग्नेट’ कहलाता है यह जेमस्टोन!
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।